हरियाणा की भाजपा सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के खिलाफ दायर चार्जशीट रद्द कर दी है। रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच जमीन के सौदों को लेकर सवाल उठाने वाले खेमका के खिलाफ पिछली हुड्डा सरकार ने पद के गलत इस्तेमाल का मामला दर्ज किया था।
खेमका पर अपने अधिकारक्षेत्र की हद से आगे बढऩे का आरोप लगाया था। अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब खेमका ने इस साल की शुरुआत में राज्य सरकार को सौंपा। जिसके बाद बीते सप्ताह वर्तमान मुख्य सचिव डी.एस.धेसी ने चार्जशीट को खारिज कर दिया।
खेमका पर आरोप
खेमका पर आरोप था कि अक्टूबर 2012 में आईजी रजिस्ट्रेशन के पद पर तैनाती के समय उन्होंने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी और रियल स्टेट की कंपनी डीएलएफ के बीच एक जमीन के सौदे में किए गए संपत्ति के बदलाव संबंधी करार को खारिज कर दिया था।
खेमका का मत
खेमका का कहना था कि इस जमीन के सौदे में रजिस्ट्रेशन के समय स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए जमीन की कीमत काफी कम करके दिखाई गई। इस साढ़े 3 एकड़ की विवादित जमीन को वाड्रा की कंपनी ने डीएलएफ को बेचा था।
खेमका पर कुल छ: आरोप
खेमका के खिलाफ कांग्रेस सरकार ने दिसंबर 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें खेमका पर कुल 6 आरोप तय किए गए थे। खेमका पर कांग्रेस सरकार ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को गलत आदेश देने, गलत और गैरजरूरी सलाह देने, मीडिया में सरकार और उसकी नीतियों की आलोचना करने और ऑल इंडिया सर्विस के नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री हुड्डा के निर्देश पर उस समय राज्य के मुख्य सचिव रहे प्रदीप कुमार चौधरी ने खेमका के खिलाफ दायर चार्जशीट पर हस्ताक्षर किए थे।
गौर हो कि खेमका के खिलाफ कार्रवाई के समय विपक्ष में रही भाजपा ने सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि वह एक ईमानदार अधिकारी को ईमानदारी से घोटालों का पर्दाफाश करने के लिए सजा दे रही है
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