रिपोर्ट्स के अनुसार- पत्रकार अब्देरज्जाक जोरगुई ने खुद को आग लगाने से पहले विद्रोह का आह्वान करते हुए एक वीडियो जारी किया था। इसमें जोरगुई ने बेरोजगारी और 2011 में ट्यूनीशिया की अरब स्प्रिंग के वायदों के पूरा ना होने पर निराशा जताई थी। जोरगुई की आत्मदाह की कोशिश के बाद अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई थी।
उनकी मौत की खबर मिलते ही रात को कैसरीन शहर में लोग घरों से बाहर आकर प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शन में बाद में हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। लोगों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव भी किया।
एक रिपोर्ट में गृह मंत्रालय के प्रवक्ता सोफियाने जाग के हवाले से कहा गया है कि प्रदर्शन के दौरान छह पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस संबंध में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। मंगलवार रात को कैसरीन में फिर से प्रदर्शन शुरू हो गया। देश के अन्य हिस्सों से भी ऐसी खबरें मिली हैं।
बता दें, ट्यूनीशिया में इसी तरह दिसंबर 2010 में एक फल विक्रेता ने बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आत्मदाह किया था। घटना का इतना बड़ा असर हुआ कि देश की सत्ता पर लंबे समय से काबिज तानाशाह राष्ट्रपति को अपने पद से हटना पड़ा था। इसके बाद ही यहां लोकतंत्र की शुरुआत हुई। घटना के बाद पूरे अरब जगत में इसी तरह का आंदोलन हुआ था जिसे ‘अरब स्प्रिंग’ या अरब क्रांति के नाम से जाना गया।