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अगार मालवा

बंद हुए जलस्त्रोत : हर साल उठाते हैं परेशानी, लेकिन जिम्मेदार फिर भी नहीं ले रहे रुचि

प्रतिवर्ष होने वाले जलसंकट के बाद भी भूमिगत जलस्त्रोत बढ़ाने की ओर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है।

अगार मालवाMar 09, 2018 / 06:51 pm

Lalit Saxena

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सुसनेर. नगरीय क्षेत्र में प्रतिवर्ष होने वाले जलसंकट के बाद भी भूमिगत जलस्त्रोत बढ़ाने की ओर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है। गिरते जलस्तर को बचाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का पालन किया जाना बेहद आवश्यक है। लेिकन हर वर्ष सरकारी अमला तो दूर जनप्रतिनिधि भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। नगरीय क्षेत्र में विभिन्न जगहों पर सार्वजनिक अतिप्राचीन कुएं, कुंडियां और बावडिय़ों का उपयोग वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के तौर पर किया जा सकता है। ये कुएं बावडिय़ा नगर की प्यास बुझाकर पेयजल परिवहन के नाम पर प्रतिवर्ष खर्च होने वाले लाखों रुपए की रकम भी बचा सकते हैं।

बंद हुए जलस्त्रोत
पेयजल संकट के समय कभी बेहद उपयोगी रहे प्राचीन कुएं और बावडिय़ां आज उदासीनता का शिकार होकर अपना अस्तित्व ही खोते जा रहे हैं। यदी समय रहते इन्हें सहेजा जाता तो हो सकता था कि वर्तमान में भी इनके माध्यम से पूरे नगर की प्यास बुझाई जा सकती थी।
नगर में 13 से भी अधिक कुएं-कुंडियां हैं। इनमें अधिकांश को रहवासियों ने कूड़ा करकट डालकर बंद कर दिया है तो कही पर जालियां लगाकर उसका असतित्व ही समाप्त कर दिया गया है। भू- जलस्तर गिरने से सार्वजनिक व निजी जलस्त्रोत भी बंद हो गए हैं। नगर में टैंकरों के माध्यम से जल सप्लाई किया जा रहा है। लगातार भू-जलस्तर गिरता जा रहा है फिर भी ऐसी विकट स्थिति में से निपटने के लिए अब तक कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है।

जल स्तर बढ़ाने पर फोकस नहीं
नगरीय क्षेत्र में हरिनगर कालोनी, बडा जीन , छोटा जीन, पांच पुलिया क्षेत्र, खिडकी दरवाजा, चोष्टी माता मंदिर के समीप, बाजाज का नेरा, नरबदिया नाला में श्रीराम सूर्यवंशी मंदिर के बाहर और िदवानजी की गली के समीप, मालीपुरा और इतवारिया बाजार के सार्वजनिक कुओं है। नगर परिषद चाहे तो इनका उद्धार करवाकर इनके पानी से पूरे नगर की प्यास बुझाई जा सकती है। परिषद भू- जलस्तर बढ़ाने पर यदि फोकस करके तो वर्तमान स्थिति में भी यह कुएं-बावडिय़ां लोगों को प्यास बुझाने में महती भूमिका निभा सकते है।

ऐसे हो सकती है धरती रिचार्ज
नगर की चारों दिशाओ में कही न कही कुएं स्थित है। नगरीय क्षेत्र के सभी घरों का पानी बारिश के समय नालों के माध्यम से बह कर चला जाता है। बारिश के पानी को सहेजने के लिए हर एक कुएं के समीप गाखोदा जाए। इस में बोल्डर व गिट्टी से बंद पाइप के जरिए कुओं से जोड़ा जाए, जिससे पानी छनकर कुओं में आए। कुछ नालियों को सीधे तौर पर घरों के रूफ वाटर से सीधे कुओं से जोड़ सकते है। ।

बारिश से पहले कोई तैयारीं नहीं
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए जाने को लेकर अभी उचित समय है, लेकिन परिषद के अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस और ध्यान नहीं दे रहे है। यानी के बारिश से पहले सभी नगरो में जहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर तैयारींया शुरू कर दी गई है वहीं इसके विपरित सुसनेर में नाम मात्र तैयारीं नहीं है। इससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है की यदी इस साल भी वर्षाकाल के समय बारिश कम हुई तो नगरवासीयो को ग्रीष्म ऋतु में फिर से जलसंकट की मार झेलना पडेगी।

यदी नगर में कुछ ऐसे कुएं बावडिय़ा है ंजिनमें अभी भी पानी है तो उनकी जनसहयोग व नपा के द्वारा जीर्णोद्धार व सफाई करवाकर उन्हें उपयोगी बनाया जाएगा। ताकि आने वाले समय में नगरवासियों को पानी के लिए भटकना ना पड़े।
– ओपी नागर, सीएमओ नगर परिषद सुसनेर

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