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अगार मालवा

यदि अवसर दिया जाए, तो ये भी चमका सकती हैं अपनी किस्मत

ग्राम कुंडलाखुर्द तथा नान्याखेड़ी की महिलाएं हुईं आत्मनिर्भर

अगार मालवाDec 09, 2017 / 11:05 am

Gopal Bajpai

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दुर्गेश शर्मा@आगर-मालवा. महिलाओं को यदि उचित अवसर दिया जाए तो वें भी पुरुषों की भांति कार्य कर सकती हैं। कुछ इसी प्रकार आगर के ग्राम कुंडलाखुर्द तथा नान्याखेड़ी की महिलाओं ने आत्मनिर्भर होने के लिए स्व सहायता समूह का गठन कर गांव की अन्य महिलाओं की भी जिंदगी बदल दी है। महिलाएं अब स्वरोजगार आरंभ कर छोटी-छोटी बचत करते हुए जिंदगी में एक बड़ा बदलाव ला चुकी है। समूह से जुड़ी हुईं महिलाएं अब पूर्णत: आत्मनिर्भर हैं। खुद मेहनत कर खुद के द्वारा तैयार की गई सामग्री बेंचकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। ये महिलाएं खुद तो मजबूत हुई हैं। साथ ही अपने परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत करती हुई दिखाई दे रही हैं।
मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्राम नान्याखेड़ी तथा कुंडलाखुर्द में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य के साथ महिलाओं के समूह का गठन किया गया। नान्याखेड़ी में पवित्राबाई पति ओमप्रकाश को समूह संचालक बनाते हुए समूह का नाम श्रीकृष्ण स्वं सहायता समूह दिया गया। इस समूह में १५ महिलाओं को शामिल किया गया। इसी प्रकार ग्राम कुंडला में जय मातादी समूह बनाते हुए सावित्री बाई पति गोकुल को समूह संचालक नियुक्त कर १२ महिलाओं को इसमे शामिल किया गया। जनवरी २०१७ में समूह की पवित्रा बाई, सावित्री बाई ने गुडग़ांव की जय किसान संस्था के माध्यम से हरियाणा जाकर हर्बल साबुन निर्माण के संबंध में तीन दिन का एक विशेष प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के बाद पवित्रा बाई ने वापस अपने गांव आकर महिलाओं को प्रशिक्षित किया और साबुन बनाने का कामकाज आरंभ कर दिया। पहली बार में ही महिलाओं ने १६९५ साबुन का निर्माण किया और इनसे ४२ हजार ३०० रूपए की आय समूह को प्राप्त हुई।
करती है प्रचार-प्रसार: समूह की महिलाएं अपनी आजीविका बढ़ाने के लिए अपने प्रोडक्ट का स्वयं प्रचार-प्रसार करती है और मार्केटिंग के लिए अपने-अपने स्तर पर साबुन को बेचने का प्रयास कर रही है। महिलाओं को इसमें खासी सफलता भी मिल रही है।
मिला आर्डर: राज्य समन्वयक मध्याह्न भोजन कार्यक्रम भोपाल ने महिलाओं ने निर्मित इस साबुन की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए जिले के चारों विकासखंड के ९४७ स्कूलों में तीन माह के लिए ७८०० साबुन निर्माण कर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है। महिलाओं द्वारा शासन के इस निर्देश के पालन में साबुन भी तैयार कर लिए गए है। महिलाएं भी स्वास्थ्य विभाग के हास्पीटल, छात्रावास आदि संस्थाओ में जाकर निरंतर सम्पर्क में रहती हैं।
२० रु. होता है खर्चा: जब इस संबंध में समूह की महिलाओं से चर्चा की गई तो उन्होने बताया कि एक साबुन को तैयार करने में करीब २० रूपए का खर्चआता है। त्वचा के लिए पूर्ण रूप से हमारे द्वारा हर्बल सामग्री का उपयोग किया जाता है। थोक मे हम लोग २५ रुपए नग के हिसाब से तथा रिटेल में ३० तक साबुन बेच रहे हैं।
४ फ्लेवर में तैयार करती हैं साबुन
स्व सहायता समूह ने अपने साबुन का नाम आजीविका निर्मल मप्र का हर्बल साबुन दिया है ओर पूर्णत: ग्लीसरीन युक्त यह साबुन बहुप्रतिष्ठित कंपनियों द्वारा निर्मित महंगे साबुन के अनुरूप तैयार किए जा रहे हैं। शुरुआती दौर में नीम एलोवेरा, चंदन, लेमन, रोज फ्लेवर में सोप इनके द्वारा तैयार किए गए है।
सीखा बचत करने का तरीका
स्व सहायता समूह से जुडऩे से पहले ये महिलाएं घर में चुल्हे चौके का ही काम किया करती थी और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अपने पति या परिवारजनों पर निर्भर रहना पड़ता था पर अब वह स्थिति नही है। समूह से जुडऩे के बाद महिलाओं ने बचत करने का तरीका सीखा और हर माह एक निश्चित राशि जोड़कर रूपया एकत्रित कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही है।
&मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों द्वारा हमे स्वरोजगार के प्रति मार्गदर्शन दिया गया था और हमारे द्वारा साबुन बनाने का निर्णय लिया गया जिसके लिए महिलाओं का समूह बनाया गया और हमने प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपना कामकाज आरंभ कर दिया समूह की सभी महिलाएं मन लगाकर कार्य कर रही है।
पवित्रा बाई, अध्यक्ष श्रीकृष्ण स्व सहायता समूह नान्याखेड़ी
&स्व सहायता समूह नान्याखेड़ी एवं कुंडला की महिलाओं द्वारा लगन एवं मेहनत के साथ कार्य किया जा रहा है दोनो ही समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर हो चुकी है इनके द्वारा तैयार किया गया साबुन पूर्णत: हर्बल है और इसकी गुणवत्ता बहुत ही अच्छी है। वे अच्छा कार्य कर रही हैं।
संजय सक्सेना, जिला परियोजना प्रबंधक मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन
&महिलाओं ने घर के कामकाज के साथ-साथ अपने घर की आजीविका बढ़ाने का जो प्रयास किया है वह सराहनीय है वाकई ग्राम कुंडला व नान्याखेड़ी की महिलाएं समूह के माध्यम से अच्छा कार्यकर रही है इनके द्वारा तैयार की गईसामग्री गुणवत्तापूर्णहै धीरे-धीरे इन्हे अच्छी सफलता मिलती जाएगी ये महिलाएं अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी है।
राजेश शुक्ल, सीईओ जिपं

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