मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बच्ची की मां शीला ने बताया कि वह अपनी बेटी के लिए खाना नहीं जुटा पाई। वह दिन पर दिन कमजोर होती जा रही थी। उसे पिछले तीन दिन से बुखार भी था जिसकी मौत हो गई। शुक्रवार रात को ही परिवार ने इस बच्चे को दफना दिया। भूख से बच्ची की मौत होने की बात सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने पूरे मामले में जांच के आदेश दे दिए। जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह के अनुसार परिवार ने पहले कोई सूचना नहीं दी और बच्ची के शव को भी दफना दिया गया। पोस्टमार्टम के बगैर बच्ची के शव को दफनाना नहीं चाहिए था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही बच्ची की मौत के सही कारणों का पता चल पाता।
मामला बरौली अहीर ब्लाक क्षेत्र के गांव नागला विधीचंद का है। इसी गांव के रहने वाले एक गरीब परिवार के पास पिछले कई दिनों से रोजगार नहीं था। पीड़ित परिवार के पड़ोसी हेमंत गौतम ने भी कहा है कि लॉक डाउन के दौरान आगरा प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवारों को सहायता नहीं मिल पाई। इन आराेपाें के बाद जिलाधिकारी ने तहसीलदार सदर प्रेमपाल सिंह काे मामले की जांच दी थी। शनिवार काे तहसीलदार गांव पहुंचे और परिवार से जानकारी ली। इस बारे में पूछने पर तहसीलदार ने बताया कि वह गांव गए थे। परिवार की मदद की गई है।
उन्हाेने कहा कि, मामला दुखद है लेकिन बच्ची बीमार थी और बीमारी से ही बच्ची की माैत हुई है। यानि प्रशासन की प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि भूख से बच्ची की माैत नहीं हुई। तहसीलदार के अनुसार बावजूद इसके परिवार काे सहायता दिलाई गई है राशन दिलाया गया है।