सुल्तान, मुल्तान का कोई नहीं मिला खरीदार कुआं खेड़ा में बकरीद से पहले यह आखिरी हाट थी। अगले रविवार को बकरीद है। ऐसे में हाट में दूरदराज से व्यापारी अपने बकरों को लेकर आए थे। रुड़की के जफर गोट फॉर्म के मालिक जफर ठेकेदार अपने साथ तोतापरी नस्ल के तीन बकरे सुल्तान, मुल्तान और कप्तान लेकर आए थे। उन्होंने बताया कि, सुल्तान की कीमत 3.40 लाख रुपए, जबकि मुल्तान की 3.20 लाख रुपए है। दोनों बकरों को कोई खरीदार नहीं मिल सका। कप्तान को एक लाख पांच हजार रुपए में बेचा गया। रुड़की के भोलू पहलवान का कहना था कि, मंडी में देसी बकरों की भी खासी खरीद की गई है। यह सस्ता पड़ता है।
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ससुराल जा रही दुल्हन प्रेमी के साथ फुर्र, दुल्हा कार में करता रहा इंतजार सभी बकरे बिक गए जालौन के पशु व्यापारी इस्लाम का कहना था कि बरबरा नस्ल के बकरों को लोग ज्यादा पसंद किया। वह 10 बकरे लेकर आए थे। सभी बिक गए। इसी तरह एत्मादपुर के आसिफ का बरबरा नस्ल का बकरा भी एक लाख रुपए में बिका।
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Tajmahal Controversy : ताजमहल के बंद 20 कमरों के राज का हुआ खुलासा, एएसआई ने दिया तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता को ये जवाब इस बार ज्यादा महंगे हैं बकरे हिंदुस्तानी बिरादरी के अध्यक्ष डॉ. सिराज कुरैशी ने बताया कि, बकरे इस दफा ज्यादा महंगे हैं। 25 हजार रुपए से कम का अच्छा बकरा नहीं है। हींग की मंडी में 25 हजार से एक लाख रुपये तक के बकरे खरीदे गए।
दूर-दूर से आए व्यापारी रुड़की, जालौन, इटावा, औरेया, एत्मादपुर, बाह, पिनाहट, भरतपुर, धौलपुर, तांतपुर, उरई, किरावली, जलेसर, एटा समेत आसपास के जिलों के व्यापारी पहुंचे थे। इन नस्लों की डिमांड तोतापरी – लंबाई ज्यादा, वजन अच्छा
बरबरा – बकरे खूबसूरत, लंबाई कम, चर्बी कम
जमुनापारी – इसकी खूब डिमांड
महावन – राजस्थानी नस्ल के देसी बकरे।