कांग्रेस पार्टी ने सेामवार को पेट्रोल डीजल की बढ़ी हुईं कीमतों और डालर के मुकाबले लगातार गिर रहे रुपये के विरोध में सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया था। कांग्रेस ने दावा किया था कि कुछ दल उसके साथ हैं। लेकिन, भाजपा के गढ़ में कांग्रेस का भारत बंद बेसर नजर आया। आगरा में दो अप्रैल और छह सितम्बर को हुए भारत बंद का व्यापक असर नजर आया था। एससी एसटी एक्ट में एकजुट हुए सर्व समाज ने बाजार बंद कर विरोध दर्ज कराया था। वहीं दो अप्रैल को भी भारत बंद प्रभावी रहा। लेकिन, कांग्रेस पार्टी ऐतिहासिक बंद का करिश्मा दोहरा नहीं सकी और आगरा में बंद बेदम साबित नजर आया।
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कांग्रेस पार्टी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भी बाजारों को बंद नहीं करा सकी। जहां पार्टी के बरिष्ठ पदाधिकारी थे वहां भी भारत बंद कारगर नहीं हो सका। कांग्रेस पार्टी के चार छह लोग हाथों में बैनर और पार्टी का झंड़ा लेकर सड़कों पर सिर्फ फोटो खिंचाने निकले और बाद में घरों में बैठ गए। कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव 2019 में बड़ी कामयाबी हासिल करने का ये अच्छा मौका था। लेकिन, कांग्रेसी इसे भुना नहीं सके। भारत बंद के दौरान हुए बवाल को देखते हुए कई स्कूलों की छुट्टी कर दी गई। हालांकि मिशनरी स्कूल खुले।