पूरन डाबर ने बताया कि मुगलकाल से हमें जूता बनाने की तकनीकि विरासत में मिली है। उस विरासत को संजोने के लिए आगरा के जूता उद्योग ने बहुत सारे प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया कि आने वाली पीढ़ी इस ओर नहीं जाना चाहती है। इसलिए आवश्यकता है कि आगरा के हर स्कूल में चाहे वह सीबीएसई हो या कोई अन्य बोर्ड, उन स्कूल के कोर्स में कौशल विकास के रूप में जूता और पर्यटन को अनिवार्य करने की आवश्यकता है।
करियर बनाने का सवाल है, तो सीएफटीआई या एफडीडीआई सेंटर से जितने भी ट्रेंड होकर जो आते हैं, उनको ये सोचना है कि वे सिर्फ जॉब को न देखें। उन्होंने बताया कि शिक्षा सिर्फ ज्ञान का साधन है, जॉब का साधन नहीं है। ज्ञान होगा, तो एक नहीं 10 नौकरी मिलेंगी। छोटे से काम को भी छोटा नहीं समझना है और जब हम कोई काम पढ़लिखकर करते हैं, तो वो बढ़ा खुद व खुद हो जाता है।