scriptजानिए करवाचौथ व्रत के महत्व, कथा, मुहूर्त, पूजा विधि और छलनी से चांद देखने की प्रथा के बारे में… | complete information and unknown facts about karwa chauth vrat 2018 | Patrika News
आगरा

जानिए करवाचौथ व्रत के महत्व, कथा, मुहूर्त, पूजा विधि और छलनी से चांद देखने की प्रथा के बारे में…

पढ़िए करवाचौथ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।

आगराOct 26, 2018 / 12:33 pm

suchita mishra

पति-पत्नी के बीच विश्वास की डोर को मजबूती प्रदान करने वाला व्रत करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानि 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। महिलाएं यह व्रत अपने पति के लिए उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु एवं जन्म-जन्मांतर तक पुनः पति रूप में प्राप्त करने के लिए करती हैं। करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है,’करवा’ यानि कि मिट्टी का बर्तन व ‘चौथ’ यानि गणेशजी की प्रिय तिथि चतुर्थी। प्रेम,त्याग व विश्वास के इस अनोखे महापर्व पर मिट्टी के बर्तन यानि करवे की पूजा का विशेष महत्व है, जिससे रात्रि में चंद्रदेव को जल अर्पण किया जाता है, इस बार के करवा चौथ पर राजयोग का शुभ मुहूर्त बन रहा है। इसके अलावा इस बार सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग भी बनेंगे। इसके साथ ही इस दिन चंद्रमा शुक्र की राशि वृष में रहेगा और गुरु की दृष्टि चंद्रमा पर होगी। ज्योतिष गणना के आधार पर कई शुभ संयोग के मेल से इस साल का करवा चौथ सौभाग्यशाली और फलदायी रहने वाला होगा।
क्यों मनाया जाता है यह व्रत
रामचरितमानस के लंका काण्ड के अनुसार इस व्रत का एक पक्ष यह भी है कि जो पति-पत्नी किसी कारणवश एक दूसरे से बिछुड़ जाते हैं, चंद्रमा की किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचती हैं। इसलिए करवा चौथ के दिन चंद्रदेव की पूजा कर महिलाएं यह कामना करती हैं कि किसी भी कारण से उन्हें अपने पति का वियोग न सहना पड़े। महाभारत में भी एक प्रसंग है जिसके अनुसार पांडवों पर आए संकट को दूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण के सुझाव से द्रौपदी ने भी करवाचौथ का पावन व्रत किया था। इसके बाद ही पांडव युद्ध में विजयी रहे।
क्यों महिलाएं निहारती है छलनी से चांद
छलनी में से चांद को देखने के पीछे पौराणिक मान्यता यह है कि वीरवती नाम की पतिव्रता स्त्री ने यह व्रत किया। भूख से व्याकुल वीरवती की हालत उसके भाइयों से सहन नहीं हुई, अतः उन्होंने चंद्रोदय से पूर्व ही एक पेड़ की ओट में चलनी लगाकर उसके पीछे अग्नि जला दी और प्यारी बहन से आकर कहा-‘देखो चाँद निकल आया है अर्घ्य दे दो। बहन ने झूठा चांद देखकर व्रत खोल लिया जिसके कारण उसके पति की मृत्यु हो गई। साहसी वीरवती ने अपने प्रेम और विश्वास से मृत पति को सुरक्षित रखा. अगले वर्ष करवाचौथ के ही दिन नियमपूर्वक व्रत का पालन किया जिससे चौथ माता ने प्रसन्न होकर उसके पति को जीवनदान दे दिया। तब से छलनी में से चांद को देखने की परंपरा आज तक चली आ रही है।
किस तरह करें करवा चौथ का व्रत
पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय शाम 7 बजकर 55 मिनट से 8 बजकर 19 मिनट तक होगा। इसी समय पर पूरे देश में चांद के दर्शन होंगे। नारदपुराण के अनुसार महिलाएं वस्त्राभूषणों से विभूषित हो सांयकाल में भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कर्तिकेय,गणेश एवं चंद्रमा का विधिपूर्वक पूजन करते हुए नैवेद्य अर्पित करें। अर्पण के समय यह कहना चाहिए कि ”भगवान कपर्दी गणेश मुझ पर प्रसन्न हों”और रात्रि के समय चंद्रमा का दर्शन करके यह मंत्र पढते हुए अर्घ्य दें, मंत्र है- ”सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम, मम पूर्वकृतं पापं औषधीश क्षमस्व मे” अर्थात हे! मन को शीतलता पहुंचाने वाले, सौम्य स्वभाव वाले ब्राह्मणों में श्रेष्ठ, सभी मंत्रों एवं औषधियों के स्वामी चंद्रमा मेरे द्वारा पूर्व के जन्मों में किए गए पापों को क्षमा करें। मेरे परिवार में सुख शांति का वास रहे। मां पार्वती उन सभी महिलाओं को सदा सुहागन होने का वरदान देती हैं, जो पूर्णतः समर्पण और श्रद्धा विश्वास के साथ यह व्रत करती हैं। पति को भी चाहिए कि पत्नी को लक्ष्मी स्वरूपा मानकर उनका आदर-सम्मान करें क्योंकि एक दूसरे के लिए प्यार और समर्पण भाव के बिना यह व्रत अधूरा है।

Home / Agra / जानिए करवाचौथ व्रत के महत्व, कथा, मुहूर्त, पूजा विधि और छलनी से चांद देखने की प्रथा के बारे में…

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो