scriptडायबिटीज से जुड़ी हैं कई भ्रांतियां, इन लक्षणों से खुद करें बीमारी की जांच, शुगर से वैवाहिक जीवन भी पड़ सकता है खतरे में | diabetes control tips diet food and treatment | Patrika News
आगरा

डायबिटीज से जुड़ी हैं कई भ्रांतियां, इन लक्षणों से खुद करें बीमारी की जांच, शुगर से वैवाहिक जीवन भी पड़ सकता है खतरे में

आने वाले दशकों में अधिक बढ़ जाएंगी डायबिटीज की बीमारी, इलाज का खर्च बढ़ने से स्वास्थ्य बजट भी बढ़ा, शहर के चिकित्सकों ने शिविर लगाकर किया जागरूक

आगराNov 14, 2018 / 01:04 pm

अभिषेक सक्सेना

Blood Sample

Blood Sample

आगरा। डायबिटीज की सुनामी पूरे विश्व में आक्रमण कर रही है। आने वाले दशकों में इस आक्रमण के तेज होने की सम्भावना है। चिन्ता का विषय यह है कि निम्न व मध्यम वर्गीय लोग कम उम्र के युवा भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इलाज का खर्चा बढ़ने से देश का स्वास्थ्य बजट बढ़ रहा है। इसके महामारी के रूप में फैलने की एक मुख्य वजह इस रोग के प्रति अज्ञानता व जादुई इलाज की खोज में रहना भी है। समाज में डायबिटीज को लेकर बहुत सी भ्रांतियां व गलत अवधारणाएं भी हैं। जिसकी वजह से इसके इलाज व नियंत्रण में देरी होने से दुष्प्रभाव बढ़ जाते हैं। आगरा में चिकित्सकों ने बुधवार को डायबिटीज दिवस के मौके पर जागरूकता शिविर लगाकर लोगों को इस बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीकों की जानकारी दी। डॉ.डीके हाजरा, डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ सहित कई चिकित्सकों ने आज लोगों की जांच कर उन्हें इस बीमारी के बचाव से रूबरू कराया।
इन लक्षणों से कर सकते हैं जांच
-डायबिटीज के 50 फीसदी रोगियों में शुरु में कोई लक्षण नहीं होते। इस कारण 30 वर्ष की आयु के बाद यदि आप हाई रिस्क समूह में हैं तो आपको प्रतिवर्ष ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए। अन्यथा तीन वर्षों में एक बार।
-किसी स्वस्थ व्यक्ति के अग्रभाग में फंगल इनफेक्शन (सफेद रंग के दाग) या स्त्रियों में बार-बार योनि से स्त्राव होना या खुजली रहना डायबिटीज का सबसे अधिक पाया जाने वाला लक्षण है।

-अच्छी भूख लगने व खाना खाने पर भी वजन का कम होते जाना या हर समय थकान रहना भी डायबिटीज के प्रारम्भिक लक्षणों में से एक है। ब्लड शुगर अधिक होने पर प्रमुख लक्षण अधिक प्यास लगना, अधिक पेशाब आना होता है।

-50 फीसदी रोगियों के परिवार के सदस्यों में भी डायबिटीज (फैमिली हिस्ट्री) होती है। लेकिन, अन्य परिवारीजनों को डायबिटीज नहीं है तो यह गारन्टी नहीं कि आपको डायबिटीज नहीं होती।
-अधिक मिठाई खाने वालों को डायबिटीज हो जाए, यह जरूरी नहीं। यह रोग बहुत से कारणों की वजह से होता है। अधिक मिठाई खाना केवल डायबिटीज के प्रारम्भ होने की उम्र को कम करता है।
-मोटापा सब रोगों की जननी है। मोटे लोगों को डायबिटीज होने की सम्भावना अधिक होती है। खास तौर से यदि वो निष्क्रिय जीवन बिता रहे हों।

-डायबिटीज से ग्रस्त मां की संतान को जन्म से ही डायबिटीज नहीं होगी। वयस्त होने पर मोटापा व डायबिटीज हो सकती है। इन्हें एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर रोका जा सकता है।
-तम्बाकू व शराब डायबिटीज नहीं करते लेकिन, डायबिटीज के रोगियों में हृदय रोग व पक्षाघात को बढ़ा देते हैं।

-डायबिटीज के रोगी एक सामान्य वैवाहिक जीवन बिता सकते हैं। लेकिन, उन्हें कम उम्र में ही परिवार पूरा कर लेना चाहिए। क्योंकि अधिक उम्र में डायबिटीज के दुष्प्रभाव होने की सम्भावना अधिक होती है।
-संतुलित आहार, व्यायाम और स्वस्थ जीवन शैली डायबिटीज के इलाज का एक महत्वपूर्ण भाग है। सिर्फ इन्हीं के बल पर कुछ प्रतिशत लोगों की डायबिटीज कंट्रोल की जा सकती है। वह भी प्रारम्भिक महीनों में। अन्ततः दवाओं की आवश्यकता पड़ती है।

-लम्बे समय तक डायबिटीज की दवाएं खाना गुर्दे के रोगों को जन्म नहीं देता। बल्कि लम्बे समय तक अनियंत्रित डायबिटीज से हृदय एवं गुर्दे खराब हो जाते हैं।

-करेला, नीम मेथी भोज्य पदार्थ लाभप्रद तो हैं। लेकिन, सिर्फ इन्हीं से डायबिटीज कंट्रोल नहीं होती। इनको अन्य भोज्य पदार्थों जैसे सब्जियां, अनाज, फल व वसा रहित दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
-फल, चावल एवं आलू कम मात्रा में और डायबिटीज नियंत्रित होने की स्थित में खा सकते हैं।

-डायबिटीज की दवाएं समय-समय पर बदलने की आवश्यकता होती है, इसलिए समय-समय पर नियमित जांच कराते रहना जरूरी है।

-सभी दवाओं के साइड इफेक्ट होते हैं लेकिन बहुत कम। जिन्हें समय-समय पर रोगियों को बता दिया जाता है।
-सबसे महत्वपूर्ण कि डायबिटीज का पूर्ण इलाज नहीं होता। इसे केवल कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए जिस दिन ब्लड शुगर कराना हो, उस दिन दवा की पूर्ण मात्रा अवश्य लें।

-इंसुलिन एक प्राकृतिक हार्मोन है। जो डायबिटीज के रोगियों में कम होता है। इसलिए बहुत से रोगियों को इंसुलिन के इंजेक्शन देने पड़ते हैं। न तो इसकी आदत पड़ती है और न ही इसको आखिरी दवा के रूप में लगाया जाता है।

-डायबिटीज के दुष्प्रभाव समय-समय पर उत्पन्न होते हैं। जिसके लिए नियमित परीक्षण व जांचें कराते रहना चाहिए। यदि आपकी ब्लड शुगर नार्मल है तब भी आपको कई दुष्प्रभाव जैसे हृदय व गुर्दे के रोग, पांव के अल्सर व नसों सम्बंधी दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

-डायबिटीज में सेक्स सम्बंधी समस्याएं अक्सर उत्पन्न हो जाती हैं। अपने डॉक्टर से बात करने में झिझकना नहीं चाहिए। याद रखिए डायबिटीज से बचा जा सकता है। बशर्ते आप जागरूक हों और आपको इस रोग के विषय में ज्ञान हो।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो