इन्हें चुना गया पदाधिकारी
गुड़गांव (हरियाणा) के होटल लीला एंबिएंस में 8 से 10 नवम्बर तक आयोजित फेम एस्थेटिकॉन-2019 में एस्थेटिक गायनेकोलाॅजी के क्षेत्र में डाॅक्टरों की उक्त संस्था का गठन किया गया है। इसे यूरोपियन सोसायटी आॅफ एस्थेटिक गायनेकोलाॅजी ने भी प्रमाणित किया है। डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा और डॉ. जयदीप मल्होत्रा के अतिरिक्त सोसायटी में डॉ. रागिनी अग्रवाल को अध्यक्ष निर्वाचित, डॉ. लीला व्यास को उपाध्यक्ष और डॉ. प्रीति जिंदल को सचिव पद पर नियुक्त किया गया है।
शर्म और झिझक के चलते नहीं बतातीं बीमारियां डॉ. जयदीप और डॉ. नरेंद्र ने बताया कि एस्थेटिक और रीजनरेटिव गायनेकोलाॅजी एक विशाल क्षेत्र है। महिलाओं की ऐसी बीमारियों या समस्याओं के बारे में बताया जिनका जिक्र वह शर्म और झिझक के कारण परिवार में किसी से नहीं करतीं और लंबे समय तक इन बीमारियों के साथ जीवन जीती रहती हैं। ऐसे में होता यह है कि कई बार बीमारी नियंत्रण से बाहर चली जाती है और बात जीवन-मरण तक पहुंच जाती है। आज भी समाज में प्रचलित अंधविश्वास व पर्दाप्रथा के कारण महिलाएं स्वतंत्र निर्णय लेकर अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समय पर इलाज नहीं करवा पाती हैं। यौन रोगों के बारे में तो वह बात तक नहीं करतीं।
ये हैं महिलाओं के यौन रोग उन्होंने कहा कि मूत्र का बार-बार रिसना, योनि का सूखापन, खुजली का बार-बार होना, गर्भाशय का बाहर खिसकना, संभोग में दर्द या तकलीफ जैसी समस्याएं महिलाओं को लग सकती हैं, लेकिन वे इनके बारे में परिवार या चिकित्सकों को बताती ही नहीं। जब तकलीफ हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो पता चलता है, लेकिन या तो देर हो चुकी होती है इलाज सही नहीं मिल पाता। आगरा समेत तकरीबन 12 शहरों में महिलाओं की इन समस्याओं का इलाज उपलब्ध है, लेकिन जागरुकता का अभाव है। ऐसे में सोसायटी का गठन होने के बाद इस क्षेत्र में और तेजी से काम होगा।