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आगरा

महिलाएं 40 की उम्र के बाद भी बिंदास जिंदगी कैसे जिएं…

डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि आज ऐसे कई साधन हैं जिससे मीनोपॉज के दौरान होने वाले प्रतिकूल बदलाव के प्रभाव को कम कर महिलाएं 40 की उम्र के बाद भी बिंदास जिंदगी जी सकती हैं।

आगराJul 18, 2018 / 08:21 pm

Bhanu Pratap

dr narendra malhotra

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आगरा। लंदन द रॉयल कॉलेज आऑफ ऑब्सटेट्रिशियंस एंड गायनेकोलॉजिस्ट में साउथ एशिया डे समारोह आयोजित किया गया। समारोह के तकनीकी सत्रों के साथ ही पैनल डिस्कशन हुए। इसमें पूछ गए सवालों के जवाब में अध्यक्षता कर रहे आगरा के डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि मात्र पांच फीसदी महिलाएं ही मीनोपॉज के दौरान डॉक्टर से संपर्क करती हैं। यानि लगभग 95 प्रतिशत महिलाएं मीनोपॉज के दौरान होने वाले प्रतिकूल बदलावों के साथ लगभग एक तिहाई जिंदगी गुजार देती हैं, जिसका असर चिड़चिड़ापन, नींद न आना, याददाश्त कमजोर आदि परिवार के अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है।
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हार्मोन थिरेपी

हार्मोन थिरेपी के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि आज ऐसे कई साधन हैं जिससे मीनोपॉज के दौरान होने वाले प्रतिकूल बदलाव के प्रभाव को कम कर महिलाएं 40 की उम्र के बाद भी बिंदास जिंदगी जी सकती हैं। डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने प्रसव के सीजेरियन तरीके और उसके परिणामों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सफोग की अध्यक्ष डा. रुबीना सोहेल, आरसीओजी की अध्यक्ष प्रो. लेजली रेगन, एमिरेटस ऑब्स एंड गायनी सोसाइटी के प्रो. सबरत्नम अरूल्कमरन, साउथ एशिया में आरसीओजी इंटरनेशनल काउंसिल की प्रतिनिधि डॉ. रेनी ठाकर, प्रो. फिरदोसी बेगम, डॉ. आसमा राना, प्रो. राशिद लतीफ खान, प्रो. टीए चौधरी, प्रो. सुधा शर्मा, प्रो. फारूख जैमन, प्रो. एबी भैयान, प्रो. हर्ष लाल सेनाविरत्ने, प्रो. आलोकेंदु चटर्जी आदि ने महत्वपूर्ण जानकारियां रखीं।
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क्या है सफॉग
साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलोजी (सफोग) दक्षिण एशिया देशों की आऑब्स एंड गायनी सोसाइटीज का प्रतिनिधित्व करता है। इस हिस्से में विश्व की पांचवें हिस्से की जनसंख्या रहती है। सामान्य समस्याओं के साथ ही प्रत्येक देश की एक अलग राजनीतिक और आर्थिक स्थिति है। इसीलिए स्वास्थ्य को ओर महिलाओं की समस्याओं को लेकर इनकी प्राथमिकताएं भी अलग हैं। सफोग का मुख्य उददेश्य है सदस्य देशों की राष्ट्रीय संगठन के साथ सहभागिता करना और ऑब्स एंड गायनी के क्षेत्र में ज्ञान बढाना। हेल्थ प्रोफेशनल्स को प्रशिक्षण देना।
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ये देश रहे साउथ एशिया डे में शामिल
भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव

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