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बोदला के राहुल नगर का रहने वाला शौकी खान उर्फ अब्दुल का परिवार बेहद गरीब है। तीन बच्चों और पत्नी के साथ किराये के मकान में रहकर अपनी गुजर बसर कर रहा है। गणेश चतुर्थी को लेकर उसने बोदला रोड पर उसने अपने हाथों से तैयार की गईं गणपति बप्पा की मूर्तियों की दुकान लगाई है। अब्दुल ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर हर बार मूर्तियों की अच्छी बिक्री होती है, जिससे उसके परिवार में खुशियां आती हैं। दो वक्त की रोटी का साधन जुटता है।
बोदला के राहुल नगर का रहने वाला शौकी खान उर्फ अब्दुल का परिवार बेहद गरीब है। तीन बच्चों और पत्नी के साथ किराये के मकान में रहकर अपनी गुजर बसर कर रहा है। गणेश चतुर्थी को लेकर उसने बोदला रोड पर उसने अपने हाथों से तैयार की गईं गणपति बप्पा की मूर्तियों की दुकान लगाई है। अब्दुल ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर हर बार मूर्तियों की अच्छी बिक्री होती है, जिससे उसके परिवार में खुशियां आती हैं। दो वक्त की रोटी का साधन जुटता है।
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अब्दुल ने बताया कि उसका मूर्ति बनाने का काम पुस्तैनी है। हर त्योहार पर मूर्ति तैयार करते हैं। नवदुर्गा पर नौ देवियों की, गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की और दीवाली पर लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां बनती हैं। इन तीन प्रमुख त्योहारों पर मूर्ति बेचकर कमाई हो जाती है और बीच का जो समय होता है, उसमें मूर्ति बनाने का काम होता है। उसने बताया कि पूरे वर्ष मूर्तियों की बिक्री होती है, लेकिन इन त्योहार पर होने वाली बिक्री से वर्षभर की कमाई होती है।
अब्दुल ने बताया कि उसका मूर्ति बनाने का काम पुस्तैनी है। हर त्योहार पर मूर्ति तैयार करते हैं। नवदुर्गा पर नौ देवियों की, गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की और दीवाली पर लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां बनती हैं। इन तीन प्रमुख त्योहारों पर मूर्ति बेचकर कमाई हो जाती है और बीच का जो समय होता है, उसमें मूर्ति बनाने का काम होता है। उसने बताया कि पूरे वर्ष मूर्तियों की बिक्री होती है, लेकिन इन त्योहार पर होने वाली बिक्री से वर्षभर की कमाई होती है।