केशो मेहरा ने ‘पत्रिका’ को फोन पर बताया – पुलवामा में हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। इससे यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान आतंक की सारी गतिविधियों का पूर्णतः संरक्षण देता रहा है और देता रहेगा। दुर्भाग्य की बात यह है कि अपने देश के अंदर ही ऐसे आतंकियों को संरक्षण देने और उनके सहयोगी बनने का काम किया जा रहा है। ये उन आतंकियों से भी अधिक घातक हैं। इसलिए सरकार को कार्रवाई आंतरिक और बाह्य मोर्चे पर करनी होगी।
उन्होंने कहा- उरी कांड के बाद हमारी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक की, लेकिन पाकिस्तान इससे मानने वाला नहीं है। आंतरिक मोर्चे पर सरकार ने काम किया है, आतंकवादियों का सफाया किया है, लेकिन ये गतिविधियां निरंतर और अधिक तीव्रता से करनी होंगी। प्रधानमंत्री ने अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं, पूरी सरकार और सारा देश दुखी है। जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की प्रतिक्रिया कि ये खून खराबा कब तक होता रहेगा और बातचीत करनी होगी, तो मेरा सवाल यह है कि किससे बातचीत की जाए? आतंकवादियों से बातचीत करने का कोई मतलब नहीं है।
केशो मेहरा ने कहा कि इजरायल की भांति सेनाओं को सन्नद्ध करने का काम सरकार कर रही है। राफेल की खरीद वास्तव में इसी तैयारी का हिस्सा है। जबानी जमा से आतंकवादियोंका सफाया नहीं होगा। आजाद कश्मीर का भाग पाकिस्तान के कब्जे में है। उसे वापस लेने के लिए ठंडे दिमाग से तैयारी करनी होगी। आतंवादी और स्लीपर एजेंट का भी सफाया करना होगा। सभी राजनीतिक दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर साथ देना चाहिए।