लालाजी रोजाना उस फोन नंबर बात किया करते थे। एक महीने के बाद जब टेलीफोन का बिल देखा तो उनके होश फाख्ता हो गए। लाख रुपये के बिल ने उनके और उनके परिवार को सोचने पर मजबूर कर दिया। परिवार को अपने बच्चों पर शक हुआ। लेकिन, लालाजी सब जानते थे, उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा। अब उन्हें रंगीन बातें करने की आदत सी पड़ गई है। इस आदत को दूर करने के लिए वे मनोरोग विशेषज्ञ की मदद ले रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक ऐसे कई नवयुवक और बड़े बुर्जुग हैं जो इन नंबरों पर हसीन बातों के लालच में फंस जाते हैं और रुपये लुटा देते हैं।
कंप्यूटर में फीड होती है आवाज
एक्सपर्ट का कहना है कि जिन नंबरों पर लोग बात करते हैं उनमें से अधिकांश नंबर आईएसडी होते हैं। इन नंबरों पर बात करने के लिए अधिकांश तौर पर देखा गया है कि कंप्यूटर की आवाज सेट की जाती है। वहीं ऐसे रैकेट संचालक लड़कियों का इस्तेमाल भी करते हैं। लोगों को ऐसे नंबरों पर कॉल करने से बचना चाहिए।