इतिहासकार डॉ. राजकिशोर राजे ने बताया कि सिकंदरा के बाहर जो ये इमारत थी, इसे बहुत पहले जहांगीर का विश्राम गृह बताया जाता था, लेकिन ये इमारत इतनी छोटी है कि ये नहीं लगता था, कि इसमें हिन्दुस्तान का बादशाह रुकता होगा। 2002 में इस पर काम किया तो पाया कि ये जहांगीर का निवास स्थान नहीं है। जांच करने पर पता चला कि ये स्थान सिकंदर लोदी का मकबरा है। क्योंकि जिस दिन सिकंदर लोदी की मृत्यु हुई थी, उसी दिन उसका बेटा इब्राहिम लोदी आगरा में गद्दी पर बैठा था। आज सिकंदर लोदी का मकबरा दिल्ली में है। तो ये मुमकिन नहीं है कि इब्राहिम लोदी उसी दिन आगरा आकर गद्दी पर बैठा, जिस दिन इब्राहिम लोदी की मृत्यु हुई थी। इसलिए तथ्य ये साफ हुआ कि सिकंदर लोदी को पहले आगरा में दफना दिया गया और बाद में बेटा सिंहासन पर बैठ गया। इसके बाद सिकंदर लोदी के शव को दिल्ली में ले जाकर दफनाया गया।