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मेरठ के थाना इंचौली सदारनपुर गांव का रहने वाला 49 वर्षीय अशोक 14 जून 1999 से सेंट्रल जेल आगरा में बंद थी। हत्या के एक मुकदमे में उसे 19 अगस्त 2008 को आजीवन कारावास हुआ था। बताया गया है पाइल्स की बीमारी के चलते उसे दो दिन पूर्व ही हॉस्पीटल वार्ड में शिफ्ट किया गया था। उसका भाई सुदेश भी सेंट्रल जेल में सजा काट रहा है।
मेरठ के थाना इंचौली सदारनपुर गांव का रहने वाला 49 वर्षीय अशोक 14 जून 1999 से सेंट्रल जेल आगरा में बंद थी। हत्या के एक मुकदमे में उसे 19 अगस्त 2008 को आजीवन कारावास हुआ था। बताया गया है पाइल्स की बीमारी के चलते उसे दो दिन पूर्व ही हॉस्पीटल वार्ड में शिफ्ट किया गया था। उसका भाई सुदेश भी सेंट्रल जेल में सजा काट रहा है।
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जेलर एसपी मिश्रा के अनुसार एक कैदी हॉस्पीटल वार्ड के शौचालय में गया। वहां उसने एक कैदी को बैठा देखा, जिसके बाद बाहर आ गया। जब वह बाहर नहीं आया, तो दाबारा अंदर गया। उसने फिर जाकर देखा, तो उसके होश उड़ गए। अशोक का शव फंदे पर लटका हुआ था। जेल अधिकारियों के अनुसार लोअर के नाड़े का फंदा गले में बंधा था। रात में ही थाना जगदीशपुरा पुलिस को सूचना दी गई। मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पंचनामा भरवाया गया। मौके की वीडियोग्राफी भी कराई गई।
जेलर एसपी मिश्रा के अनुसार एक कैदी हॉस्पीटल वार्ड के शौचालय में गया। वहां उसने एक कैदी को बैठा देखा, जिसके बाद बाहर आ गया। जब वह बाहर नहीं आया, तो दाबारा अंदर गया। उसने फिर जाकर देखा, तो उसके होश उड़ गए। अशोक का शव फंदे पर लटका हुआ था। जेल अधिकारियों के अनुसार लोअर के नाड़े का फंदा गले में बंधा था। रात में ही थाना जगदीशपुरा पुलिस को सूचना दी गई। मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पंचनामा भरवाया गया। मौके की वीडियोग्राफी भी कराई गई।
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इस घटना के बाद जेल में सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल लग गया है। आखिर वार्ड के बाहर सुरक्षा के लिए तैनात बंदी रक्षक क्या कर रहा था। उसे घटना की जानकारी क्यों नहीं हो सकी। रात में कैदी गया, तो उसे टोका क्यों नहीं गया। काफी देर तक उसके न आने पर सूचना अधिकारियों को क्यों नहीं दी गई। इस घटना के बाद ये तमाम सवाल बने हुए हैं।
इस घटना के बाद जेल में सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल लग गया है। आखिर वार्ड के बाहर सुरक्षा के लिए तैनात बंदी रक्षक क्या कर रहा था। उसे घटना की जानकारी क्यों नहीं हो सकी। रात में कैदी गया, तो उसे टोका क्यों नहीं गया। काफी देर तक उसके न आने पर सूचना अधिकारियों को क्यों नहीं दी गई। इस घटना के बाद ये तमाम सवाल बने हुए हैं।