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आगरा

शिक्षामित्रों के इस ऐलान के बाद उड़ जाएंगे सभी पार्टियों के होश

निकाय चुनाव में बहिष्कार का ऐलान, समान कार्य समान वेतन की मांग तेज

आगराNov 08, 2017 / 09:51 am

अभिषेक सक्सेना

shiksha mitra

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आगरा। सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए कोई स्टैंड अभी तक नहीं लिया है। इस बात से शिक्षामित्रों में बेहद ही आक्रोश व्याप्त है। शिक्षामित्रों ने ऐलान किया है कि आने वाले चुनावों में वे पार्टियों को सबक सिखाएंगे। शिक्षामित्रों ने घोषणा की है कि निकाय चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा। एक भी शिक्षामित्र मतदान में हिस्सा नहीं लेगा। इस बहिष्कार की खबर से सभी पार्टियों में खलबली मची हुई है। शिक्षामित्रों को मनाने के लिए नेता प्रयास कर रहे हैं, लेकिन शिक्षामित्र अपने फैसले पर कायम हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग के नाम सौंपा ज्ञापन
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर के नेतृत्व में शिक्षामित्रों ने निकाय चुनाव में बहिष्कार की सहमति दी। निकाय चुनाव का बहिष्कार करते हुए चुनाव में लगाई गई डयूटी का विरोध किया। शिक्षामित्रों ने कहा कि 22 नवंबर को होने वाले निकाय चुनाव में मतदान में शिक्षामित्र भाग नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक बकाया वेतन, एरियर मानदेय का भुगतान आदि नहीं किया जाता है। वहीं समान कार्य समान वेतन लागू नहीं किया जाता है। तब तक शिक्षामित्र शासन का कोई भी कार्य नहीं करेंगे।
ज्ञापन सौंपा प्रशासनिक अधिकारियों को
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने जो ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपा है। उसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार की लचीली पैरवी के कारण सर्वोच्च न्यायालय में एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन 25.7 2017 से निरस्त हो चुका है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रिव्यू में न जाना इस बात की पुष्टि करता है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में शिक्षामित्रों की पैरवी प्रभावी तरीके से नहीं की गई। एटा और बनारस में न्यायोचित मांग करते समय शिक्षामित्रों पर लाठीचार्ज करना और संगीन धाराओं में मुकदमा कर जेल भेजना और सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए। समायोजन निरस्त होने के बाद अवसाद से ग्रसित होकर सैकड़ों शिक्षामित्रों की मृत्यु के उपरांत भी सरकार द्वारा स्थायी रोजी रोटी की व्यवस्था नहीं की गई है।
आर्थिक स्थिति खराब हो रही
रोजाना सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी तय नौकरी करना मुश्किल हो रहा है। तीन महीने से न तो वेतन दिया जा रहा है और न बकाया भुगतान किया जा रहा है। प्रतिदिन औसत खर्च 200 से 250 रुपये आता है। जिससे आर्थिक स्थिति खराब है। परिवार का भरण पोषण करना दूभर हो रहा है। उन्होंने एसीएम चतुर्थ सुनील कुमार को ज्ञापन दिया। इस मौके पर रनवीर सिकरवार, रामनिवास, सतेंद्र शर्मा, अरविंद, रघुवीर शर्मा, जाहिद खान, राजेश गिरि, भूरी सिंह, नरेंद्र भागौंर, माधुरी सोलंकी, सुनीता शर्मा, उमा शर्मा, पुष्पा परमार, राजवती शशि चाहर, सुनीता, रानी, निहाल सिंह सिकरवार आदि मौजूद रहे।
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