scriptअजूबा- एक हाथ में किताब तो दूसरे हाथ में सांप लेकर पढ़ाई करते हैं बच्चे, लोगों ने कहा बाप-बेटे की तरह रिश्ता | story of soran village of agra related to snakes | Patrika News
आगरा

अजूबा- एक हाथ में किताब तो दूसरे हाथ में सांप लेकर पढ़ाई करते हैं बच्चे, लोगों ने कहा बाप-बेटे की तरह रिश्ता

आगरा के शमसाबाद ब्लॉक के सोरन गांव जहरीले सांपों के लेकर किए जाने वाले करतब को लेकर चर्चा में रहता है। यहां हर घर में आपको सांप मिल जाएंगे। खास बात ये है कि गांव के लोग सांप से डरने की बजाय उसके साथ खेलते है।

आगराAug 29, 2020 / 03:57 pm

Karishma Lalwani

अजूबा- एक हाथ में किताब तो दूसरे हाथ में सांप लेकर पढ़ाई करते हैं बच्चे, लोगों ने कहा बाप-बेटे की तरह रिश्ता

अजूबा- एक हाथ में किताब तो दूसरे हाथ में सांप लेकर पढ़ाई करते हैं बच्चे, लोगों ने कहा बाप-बेटे की तरह रिश्ता

आगरा. आगरा के शमसाबाद ब्लॉक के सोरन गांव जहरीले सांपों के लेकर किए जाने वाले करतब को लेकर चर्चा में रहता है। यहां हर घर में आपको सांप मिल जाएंगे। खास बात ये है कि गांव के लोग सांप से डरने की बजाय उसके साथ खेलते है। बच्चे एक हाथ में किताब और दूसरे हाथ में जहरीले सांप लेकर पढ़ाई करते हैं। सांप भी यहां इंसानों के बीच इस तरह से रहते हैं जैसे वो इनके ही परिवार का हिस्सा हों।
आगरा मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर गांव सोरन का पूरा अपने आप में खास है। इस गांव के हर घर में सांप घूमते हुए मिल जाएंगे। यहां हर घर में सांप इंसानों के बीच में इस तरह रहते हैं जैसे कि वे उनके ही परिवार का हिस्सा हों। ग्रामीण भी सांपों को इस तरह पालते हैं जैसें घरों में रखी गई गाय या भैंस का ख्याल रखते हों। इसी अजूबे के कारण इस गांव को सपेरों का गांव भी कहा जाता है।
बाप-बेटे जैसा है रिश्ता

दरसअल, सोरन का पुरा गांव में सपेरे रहते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी इस गांव के लोग सांपों का करतब दिखाकर अपनी रोजी रोटी का इंतजाम करते रहे हैं। राजस्थान के धौलपुर जिले से सटे इस गांव के बुज़ुर्ग सोरन नाथ कहते हैं कि हमारे लिए सांपों से रिश्ता बाप-बेटे का रिश्ता है। इन्हीं की वजह से हमारा पेट भरता है लेकिन सांपो के करतब दिखाकर केवल पेट की आग ही बुझ पाती है। इससे ज्यादा हम हर सुख सुविधा के लिए पूरी तरह महरूम हैं लेकिन अब हम बच्चों की पढ़ाई भी ज्यादा ध्यान दे रहे हैं ताकि हमारे नाती पोते मुफलिसी की जिंदगी न काटें।”
सांप के करतब से रोजी रोटी का साधन

गांव के लोगों के लिए सांप का करतब दिखाकर अपना पेट पालना ही उनकी दिनचर्या है। गांव में रहने वाले राधेनाथ सपेरा कहते हैं हम लोग पढ़े लिखे नहीं हैं और न ही हमारे पास खेती है इसलिए सांपों का खेल करतब दिखाकर दो वक्त की रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं। उन्होंने कहा कि अलग-अलग प्रजाति के जहरीले सांपों के साथ रहना उनके लिए सामान्य बात है। करतब दिखाने के लिए गांव के सपेरे ही बीन के साथ मृदंग और अन्य वाद्य यंत्रों को तैयार करते हैं। ये सपेरे गांव-गांव जाकर सांपों का करतब दिखाते हैं जिससे इनके घर का खर्च चलता है।
गांव में दो ही लोग पढ़े लिखे

गांव में केवल दो ही लोगों ने अच्छी खासी पढ़ाई की है। गांव के पवन और उसका भाई ही पढ़ पाया है। पवन ने बीएससी की पढ़ाई की है और अब वही गांव में शिक्षा की रोशनी जला रहा है। सभी सपेरे चाहते हैं कि बदलते वक्त में महंगाई की मार में अपने बच्चों को पढ़ाकर डॉक्टर और इंजीनियर बनाएं ताकि इंज्जत से जिंदगी जिया जा सके।
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