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उन्होंने बताया कि माता के विचार व माता की संवेदना भावी पीढ़ी के निर्माण में महती भूमिका निभाते हैं। सीमा जांबड़ ने कलर थेरेपी से गर्भ संस्कार शिक्षा देते हुए बताया कि हर रंग की अलग-अलग ऊर्जा होती है और गर्भवती स्त्री जिस रंग के प्रति आकर्षित होती है, उस रंग के गुण भावी बच्चे को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए अगर गर्भवती स्त्री पीला रंग पसंद करती है तो पीले रंग का नेतृत्व वाला गुण बच्चे को प्रभावित करता है। उन्होंने सोने से पूर्व चौदह स्वप्न की साधना, योगा, प्राणायाम, शुद्ध सात्विक आहार को भी गर्भ संस्कार शिक्षा के अंतर्गत उपयोगी बताया। यह भी पढ़ें– करवाचौथ पर प्रेमी के साथ हमबिस्तर थी पत्नी, तभी घर पर आ गया पति और फिर…
डॉ सुनीता गर्ग ने बताया कि एक मां को बच्चा गर्भ में लाते समय उन आत्माओं का आह्वान करना चाहिए जो पृथ्वी के कल्याण के लिए आतुर हैं। गर्भवती स्त्री को अपने हृदय में दिव्य पुरुष के जन्म की अभिलाषा जगानी चाहिए।
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डॉक्टर नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि बच्चा होने से पहले हर स्त्री को फॉलिक एसिड की गोली उपहार में दी जानी चाहिए। यह फॉलिक एसिड सात्विक आहार में पाया जाता है। माँ अच्छा संगीत सुनें, अच्छी बातें सुनें। इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। आगरा के जिलाधिकारी की पत्नी डॉक्टर हेमलता ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि मां के मस्तिष्क का नियंत्रण गर्भ धारण करने से पहले ही करना चाहिये। एक मां का फिजिकल के साथ मेंटल न्यूट्रिशन भी जरूरी है।