बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के खिलाफ एक हजार किसानों का गुजरात हाईकोर्ट में शपथपत्र
-केन्द्र सरकार को 26 सितम्बर तक जवाब देने का निर्देश
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के खिलाफ एक हजार किसानों का गुजरात हाईकोर्ट में शपथपत्र
अहमदाबाद. नरेन्द्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के खिलाफ गुजरात के एक हजार प्रभावित किसानों ने गुजरात उच्च न्यायालय में शपथपत्र पेश किया।
याचिकाकर्ता किसानों के साथ-साथ गुजरात के 8 जिलों के प्रभावित किसानों की ओर से मंगलवार को पेश इस शपथपत्र में कहा गया है वे अपनी जमीन का अधिग्रहण नहीं करने देना चाहते और इसलिए वे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का पूरी तरह विरोध करते हैं।
इस शपथपत्र के मुताबिक गुजरात सरकार बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए उनकी भूमि का अधिग्रहण मौखिक या लिखित मंजूरी या बातचीत के बिना कर रही है। इतना ही नहीं, यह अधिग्रहण बिना किसी उचित व पर्याप्त वैकल्पिक व्यवस्था या पुनर्वास पैकेज के तहत किया जा रहा है जो भूमि अधिग्रहण, पुनरूद्धार, पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा व पारदर्शिता के अधिकार के खिलाफ है।
शपथपत्र में बताया गया है कि वे इस भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हैं क्योंकि राज्य सरकार ने बुलेट ट्रेन के लिए ऋण देने वाली जापानी इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के पर्यावरणीय व सामाजिक लिहाज को लेकर जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है। राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण को लेकर केन्द्र के अधिनियम को संशोधित किया है जिसमें प्रभावित किसानों से उनकी पूर्व मंजूरी लेने, पुनर्वास पैकेज और सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन की बात का उल्लेख नहीं है।
शपथपत्र के अनुसार राज्य सरकार की ओर से भूमि अधिग्रहण को लेकर जारी नोटिस में जमीन के वर्तमान बाजार मूल्य को न तो बढ़ाया गया और न ही संशोधित किया गया है। इससे जमीन के मालिक को वर्तमान बाजार मूल्य से वंचित रहना पड़ेगा।
एक हजार किसानों ने यह शपथपत्र गुजरात सरकार के उस जवाब के बाद पेश किया है जिसमें सरकार ने कहा था कि भूमि अधिग्रहण को लेकर ज्यादातर किसान सरकार के साथ हैं।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता किसानों के वकील आनंद याज्ञिक ने दलील दी कि इस मामले में केन्द्र सरकार ने अब तक अपना जवाब पेश नहीं किया है। यह तब स्थिति है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को जल्द से जल्द सुनवाई करने को कहा है।
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ नेे केन्द्र सरकार से इस याचिका पर अपना जवाब पेश करने के लिए अंतिम समय दिया। मामले की अगली सुनवाई 26 सितम्बर को होगी।
उल्लेखनीय है कि सूरत के कुछ किसानों ने इस प्रोजेक्ट को लेकर भूमि अधिग्रहण, गुजरात संशोधन अधिनियम के कुछ प्रावधानों को अवैध ठहराए सहित कई मांगों को लेकर याचिकाएं दायर की हैं।
मामले के अनुसार अहमदाबाद-बुलेट ट्रेन से गुजरात के कुल 3800 किसान प्रभावित हैं। इनमें सूरत, अहमदाबाद, वडोदरा, भरूच, नवसारी, वलसाड, आणंद व खेड़ा जिले के किसान शामिल हैं।
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