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अहमदाबाद

राजस्थान निवासी 64 वर्षीय बुजुर्ग ब्रेनडेड, परिजनों ने किया अंगदान, 3 को जीवनदान

अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 142वां अंगदान, इस साल गुप्त अंगदान की दूसरी घटना

अहमदाबादFeb 05, 2024 / 10:56 pm

nagendra singh rathore

राजस्थान निवासी 64 वर्षीय बुजुर्ग ब्रेनडेड, परिजनों ने किया अंगदान, 3 को जीवनदान

राजस्थान निवासी 64 वर्षीय बुजुर्ग ब्रेनडेड, परिजनों ने किया अंगदान, 3 को जीवनदान

राजस्थान के एक 65 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति के ब्रेनडेड होने पर परिजनों ने अंगदान का निर्णय किया है। इसके चलते उनके तीन अंग दान में लिए गए, जिससे तीन लोगों को जीवनदान मिला। सिविल अस्पताल में ब्रेनडेड अंगदान का यह 142 वां मामला है। परिजनों ने गुप्त अंगदान किया है। इस साल गुप्त अंगदान का यह दूसरा मामला है।

अस्पताल के अनुसार राजस्थान के रहने वाले 64 वर्षीय बुजुर्ग को सिर में गंभीर चोट लगी थी। इस कारण 2 फरवरी को उन्हें अहमदाबाद सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्राथमिक जांच में उन्हें ब्रेन हेमरेज होने की बात पता चली, जिससे उनका का गहन उपचार शुरू किया गया। उनकी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। 4 फरवरी को डॉक्टरों द्वारा उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

 

इसके बाद सिविल अस्पताल की सोट्टो टीम की ओर से परिवार के सदस्यों को अंगदान के बारे में समझाया गया। बिना देरी किए इस परिवार के सदस्यों ने अपने ब्रेनडेड रिश्तेदार के अंगों को दान में देने और उनके अंगों से अन्य लोगों की जान बचाने का निर्णय किया। परिजनों की ओर से अंगदान की स्वीकृति देने के बाद सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने उनके अंगों को निकालने की प्रक्रिया की। उनकी दो किडनी और एक लीवर को सफलतापूर्वक निकाला गया और इन अंगों को अहमदाबाद सिविल अस्पताल की किडनी इंस्टीट्यूट में भर्ती जरूरतमंद मरीजों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया है। इससे तीन लोगों की जिंदगी को नई किरण मिली।

 

 

….ताकि जीवित लोगों को न पड़े अंगदान की जरूरत

अहमदाबाद सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राकेश जोशी ने कहा कि अंगदान आज के आधुनिक युग का सबसे बड़ा दान है। सरकार और समाज सेवी संस्थाओं के प्रयासों से समाज में इसके प्रति जागरुकता तो बढ़ी है, लेकिन आज की जीवनशैली के कारण मल्टीपल ऑर्गन फेलियर के मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग और प्रदेश के सभी लोगों को अंग दान और जीवन दान के महत्व को समाज में अधिक व्यापक रूप से फैलाना चाहिए ताकि किसी भी जीवित व्यक्ति को अंग विफलता से पीड़ित अपने रिश्तेदारों को अंग दान न करना पड़े।

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