आनंदीबेन ने लिखा कि पहले भी जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तब 75 वर्ष बाद पद पर नहीं रहने की भाजपा की नीति का उल्लेख किया था। वे आज भी उसी नीति के आधार पर वर्ष 2017 की विस चुनाव लडऩा नहीं चाहती हैं।
स्थानीय सक्रिय कार्यकर्ता को दें टिकट :
उन्होंने मांग की कि उनके घाटलोडिया विधानसभा इलाके में किसी स्थानीय सक्रिय कार्यकर्ता को टिकट दें। अनेक वर्षों से पार्टी का काम करने वाले कार्यकर्ताओं को भी महानगरपालिका व पंचायत चुनाव में चुने जाने तथा विधायक या सांसद बनने की इच्छा होती है, जो स्वाभाविक है।
मोदी का कुशल मार्गदर्शन मिला :
आनंदीबेन ने लिखा कि वे पार्टी में जब से जुड़ीं तब से नरेन्द्रभाई के कुशल संगठनकर्ता के रूप में उन्हें मार्गदर्शन मिलता रहा। वर्ष 2002 से 2012 तक उनके मुख्यमंत्रित्व काल में वह उनके साथ काम कर लगातार सीखती रहीं। आनंदीबेन ने पत्र में लिखा कि सवा दो वर्षों तक सीएम के रूप में काम करते हुए उन्होंने काफी कुछ सीखा। पार्टी व कार्यकर्ताओं ने उन्हें खूब प्रेरणा, प्रोत्साहन व मार्गदर्शन दिया। गुजरात की प्रजा ने उन्हें असीम प्रेम दिया। जनता का यह प्रेम वे कभी नहीं भूल सकतीं।
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