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अहमदाबाद

रंग लाया ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओÓ अभियान, बेटियों की संख्या बढ़ी

beti bachao-beti padhao, village, kutch, panchayat, virtual: कच्छ में ग्रामीण स्तर पर बनी है बालिका पंचायत

अहमदाबादJan 24, 2022 / 09:41 pm

Pushpendra Rajput

रंग लाया 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओÓ अभियान, बेटियों की संख्या बढ़ी

रंग लाया ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओÓ अभियान, बेटियों की संख्या बढ़ी

गांधीनगर. जहां गुजरात में वर्ष 20211 में जनसंख्या गणना के मुताबिक 1000 बालकों पर बालिकाओं की संख्या 890 थी, जो वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के मुताबिक बढ़कर 955 हो गई है। मतलब कि गुजरात में बेटियों की संख्या में इजाफा हुआ है। वहीं कच्छ जिले में ग्रामीणस्तर पर बालिका पंचायत के गठन की अनोखी पहल की गई है, जिसमें सरपंच से लेकर ग्राम पंचायत के वॉर्ड में सभी सदस्य बालिकाएं हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत सोमवार को ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस Ó पर आयोजित समारोह को संबोदित करते हुए महिला व बाल कल्याण की विभाग की मंत्री मनीष वकील ने वच्र्युअल यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सशक्त समाज के निर्माण के लिए बालिका जन्मदर को बढ़ावा देना जरूरी है। समाज के सभी नागरिकों को इसके लिए संकल्पबद्ध होने की आवश्यकता है। बालिका जन्म दर, शिक्षा और सुरक्षा के लिए मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है ताकि एक स्वस्थ और समान राष्ट्र बनाने में भागीदार बनें। तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में ‘बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओÓ अभियान प्रारंभ कर देश को नई दिशा दिखाई थी। अब देशभर में यह अभियान चल रहा है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ेके मार्गदर्शन में इस अभियान को गतिशील बनाने और बालिका जन्मदर के प्रति जागरुकता लाने का राज्य सरकार प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य बालिका जन्मदर को बढ़ावा देना, बालिकाओं में माध्यमिक शिक्षा का प्रमाण बढ़ाना और उनकी सुरक्षित महसूस कराना है। इस अभियान के तहत जनसमुदाय में जागरुकता लाने के लिए राज्य, जिला और तहसीलस्तर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके चलते ही राज्य में वर्ष 2011 में प्रति एक हजार बालकों पर 890 बालिकाएं थीं, जो वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के मुताबिक बढ़ाकर 955 पहुंच गया।
महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव एवं आयुक्त के.के. निराला ने राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य बताते कहा कि भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से बालिका जन्म दर, शिक्षा को बढ़ावा, बाल विवाह उन्मूलन, महिलाओं को कानूनी अधिकार, पोषण एवं चिकित्सा देखभाल, संरक्षण एवं सम्मान सुनिश्चित करना है। इसके मद्देनजर वर्ष 2008 से 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधियों की ओर से भी संसद और विधानसभा में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लगातार प्राथमिकता दे रहे है। बालिकाओं को शिक्षित बनाना समय की मांग की है।
इस मौके पर महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक डॉ. जिन्सी रॉय समेत कई गणमान्य वच्र्युअल अपने विचार व्यक्त किए।
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