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अहमदाबाद

Protest against Mobile Tower बोडकदेव में फुटपाथ पर लगने जा रहे मोबाइल टावर का विरोध

स्थानीय लोगों को है रेडिएशन के खतरे का डर, शांतिपूर्ण विरोध, प्राध्यापकों की राय रेडिएशन के चलते खतरा तो हैमनपायुक्त ने कहा रेडिएशन खतरे के सबूत नहीं, टर्मसेल और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव ने भी नकारा

अहमदाबादAug 09, 2019 / 06:50 pm

nagendra singh rathore

Bodakdev

Protest against Mobile Tower बोडकदेव में फुटपाथ पर लगने जा रहे मोबाइल टावर का विरोध

अहमदाबाद. मोबाइल टावर से निकलने वाले इलैक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड रेडिएशन (ईएमएफ-रेडिएशन) के खतरनाक होने को लेकर बेशक अहमदाबाद महानगर पालिका, टर्म सेल और राज्य के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के आला अधिकारी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं होने की बात कह रहे हों, लेकिन अहमदाबाद के बोडकदेव इलाके में लोग इसको लेकर भयभीत जरूर हैं। स्थिति ये है कि उन्होने बोडकदेव पुलिस चौकी के पास लगने जा रहे मोबाइल टावर का विरोध शुरू कर दिया है।
गोयल टैरेस में रहने वाले लोगों ने टावर के विरोध में प्लेकार्ड के साथ शांतिपूर्वक विरोध तो किया ही है साथ ही उन्होंने अहमदाबाद महानगर पालिका में भी इसकी शिकायत की, जिसके चलते टावर का स्ट्रक्चर तो खड़ा हो गया है, लेकिन अभी एन्टेना नहीं लगे हैं।
गोयल टैरेस में रहने वाले निशिथ पटेल बताते हैं कि उन्हें ही नहीं उनके अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन से खतरे का डर है। ये डर इसलिए है क्योंकि उनके अपार्टमेंट में बीते कुछ सालों में करीब छह लोग कैंसर की चपेट में आए हैं। उनके अपार्टमेंट के सामने कुछ दूरी पर पहले से ही करीब तीन मोबाइल टावर लगे हैं और अब एक तो बिल्कुल पास में फुटपाथ पर रातों रात लगा दिया गया। विरोध के चलते अभी एंटेना तो नहीं लगे हैं, लेकिन अहमदाबाद महानगर पालिका से लेकर टर्म सेल तक वे गए हैं, कहीं भी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उन्हें डर है कि इस पर एन्टेना भी कभी भी लग सकता है। फिर टावर फुटपाथ पर लगा दिया है, जिससे बुजुर्गों को चौकी के पास स्थित सीटों पर बैठने जाने में भी दिक्कत होती है।
नुकसान है लेकिन पावर और समय पर निर्भर
मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन से नुकसान तो होता है, लेकिन खतरा उस पर निर्भर है कि उसका पावर कितना है और व्यक्ति उसके निरंतर दायरे में कितने समय तक रहता है। माइक्रो ओवन में जिस प्रकार से हम वस्तु रखते हैं और वह पकती है ठीक उसी प्रकार से ये मोबाइल टावर से निकलने वाली तरंगे भी काम करती हैं, लेकिन इसकी तीव्रता कम होती है। ये बात भी सही है कि अभी तक इसके खतरनाक होने के ठोस वैज्ञानिक सबूत कोई नहीं दे पाया है, लेकिन इसके लिए गहन रिसर्च की जरूरत है। ज्यादा समय तक रेडिएशन के स्तर में रहने पर सिरदर्द, यादशक्ति कम होना, चिड़चिड़ापन हो सकता है।
-प्रो.वी.ए.राणा, प्रोफेसर,माइक्रोवेव रिसर्च लैब, फिजिक्स, जीयू
रेडिएशन के चलते रोक नहीं
मोबाइल टावर किस जगह लगाने हैं और किस जगह नहीं लगाने हैं उसको लेकर कोई ठोस पैमाना नहीं है। जहां भी टावर लगता है उसका स्ट्रक्चर मजबूत है या नहीं उसकी मंजूरी मनपा का एस्टेट विभाग देता है। रेडिएशन के चलते टावर लगाने पर कोई रोक नहीं है क्योंकि कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि मोबाइल टावर से निकलने वाला रेडिएशन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
-विजय नेहरा, मनपा आयुक्त, अहमदाबाद
गुजरात में रेडिएशन के स्तर का कोई केस नहीं
मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन का स्तर भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर से दस गुना कम है। अभी तक भी इसका कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है कि मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन के चलते लोगों को कैंसर या अन्य बीमारियां होती हैं। जिन लोगों को आशंका है कि उनके इलाके में लगे मोबाइल टावर में तय पैमाने से ज्यादा रेडिएशन निकल रहा है, तो वे तरल संचार पोर्टल पर उसका स्तर जान सकते हैं। शिकायत कर सकते हैं, गुजरात में अब तक एक भी मोबाइल टावर से तय से ज्यादा रेडिएशन का प्रमाण नहीं मिला है।
-ए.के.तिवारी, उपमहानिदेशक, टर्म सेल, अहमदाबाद
रेडिएशन से नुकसान के साक्ष्य नहीं, बना रहे हैं पॉलिसी
मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे, कैंसर या अन्य बीमारियां होने का कोई ठोस वैज्ञानिक सबूत अब तक भी सामने नहीं आया है। प्राध्यापक, रिसर्चर सिर्फ सिद्धांत को मद्देनजर रखते हुए नुकसान होने का दावा करते हैं, लेकिन प्रमाण नहीं दे पा रहे। जहां तक गुजरात में मोबाइल टावर लगाने की बात है तो वर्ष २००८ और फिर २०१२ से नियम लागू हैं। रेडिएशन के मामले को टर्म सेल देखता है। गुजरात में मोबाइल टावर लगाने को लेकर सभी विभागों को समाहित करते हुए एक समावेशी नीति बनाने पर काम चल रहा है।
-धनंजय द्विवेदी, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, गुजरात
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