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अहमदाबाद

गोधरा ट्रेन आगजनी प्रकरण में 2 को आजीवन कैद, 3 बरी

विशेष अदालत ने सुनाया फैसला
 

अहमदाबादAug 27, 2018 / 11:04 pm

nagendra singh rathore

Sabarmati jail

गोधरा ट्रेन आगजनी प्रकरण में 2 को आजीवन कैद, 3 बरी

अहमदाबाद . 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बे में 59 कारसेवकों को जिंदा जलाने के मामले में विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए 2 आरोपियों को दोषी करार दिया है, जबकि 3 को बरी कर दिया। दोषी करार दिए गए आरोपियों को आजीवन कैद की सजा सुनाई है।
अहमदाबाद के साबरमती सेंट्रल जेल परिसर स्थित विशेष अदालत के जज एच. सी. वोरा ने सोमवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाया। इस मामले में कुल 6 आरोपियों में से एक की मौत हो जाने से 5 के विरुद्ध फैसला सुनाया।
मुख्य सरकारी वकील जे एम पंचाल एवं स्पेशल विशेष अतिरिक्त लोक अभियोजक नरेंद्र एन प्रजापति ने बताया की जिन दो आरोपियों को दोषी करार दिया गया है, उनमें फारुख मोहम्मद भाणा और इमरान उर्फ शेरू अहमद बटुक घांची शामिल हैं। इन्हें आजीवन कैद की सजा सुनाई है। जबकि हुसैन सुलेमान मोहन, कासम इब्राहिम इस्माइल भामेरी, फारुख हाफिज मोहम्मद धंतिया को बरी कर दिया गया है।
विशेष अदालत में साबरमती ट्रेन के यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों, पुलिस कर्मचारियों सहित 37 गवाहों की गवाही ली गई। कई अहम् दस्तावेजी सबूत सामने रखे गए थे। इससे पहले दिए गए फैसले के दौरान पेश किये गए सबूत भी इन आरोपियों के मामले में पेश किए गए।
इस मामले में 2015 और 2016 के दौरान पकड़े गए आरोपियों हुसैन सुलेमान मोहन, कासम इब्राहिम इस्माइल भामेरी, फारुख हाफिज मोहम्मद धंतिया, फ़ारूक़ मोहम्मद भाणा, इमरान उर्फ शेरू अहमद बटुक घांची और साबिर अब्दुल गनी पातलिया के विरुद्ध सुनवाई हुई । पातलिया की ट्रायल के दौरान 20 अगस्त 2017 को मौत हो गई।
हुसैन सुलेमान मोहन को 23 जुलाई 2015 को गिरफ्तार किया गया था। वह 13 वर्ष 4 महीने और 25 दिन तक फरार था। कासम इब्राहिम इस्माइल भामेरी को 27 जुलाई 2015 को गिरफ्तार किया गया था।वह 13 वर्ष 4 महीने और 29 दिन तक फरार था। फारुख हाफिज मोहम्मद धंतिया को 30 अक्टूबर 2015 को गिरफ्तार किया गया था और वह 13 वर्ष 8 महीने और 1 दिन के लिए फरार था।
फ़ारूक़ मोहम्मद भाणा को 18 मई 2016 को गिरफ्तार किया गया था और वह 14 बरस 2 महीने और 20 दिनों तक फरार था। वह गोधरा नगरपालिका का सदस्य था। वह भीड़ का नेतृत्व कर रहा था।
इमरान उर्फ शेरू अहमद बटुक घांची को 13 जुलाई 2016 को गिरफ्तार किया गया था और वह 14 वर्षों 4 महीने तथा 15 दिन के लिए फरार था
इस मामले में वर्ष 2011 में विशेष अदालत ने 11 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी, वहीं 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसी मामले में 63 अन्य को बरी कर दिया गया था।
इस मामले में अपील याचिकाओं पर गुजरात उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2017 में अपना फैसला सुनाते हुए 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दी थी, वहीं 20 अन्य दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी। इसी मामले में 63 अन्य के बरी होने को भी बरकरार रखा गया था।
यह था मामला
गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर 27 मार्च 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के 6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी। इस घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों को जिंदा जला दिया गया था। इस घटना के बाद राज्य भर में सांप्रदायिक दंगे फैले थे, जिसमें करीब 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी वहीं सैकडों अन्य घायल हो गए थे।
अभी भी 8 आरोपी फरार
इस मामले में स्पेशल विशेष अतिरिक्त लोक अभियोजक नरेंद्र एन प्रजापति ने बताया कि इस प्रकरण में अभी भी 8 आरोपी फरार हैं। इनमें सलीम पानवाला, रफीक बटुक और शौकत अहमद चरखा उर्फ लालू व अन्य शामिल हैं।
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