अहमदाबाद. शहर के कई बैंकों में कैश खत्म हो जाता है तो कई एटीएम बंद पड़े़ हैं। जिन एटीएम में रुपया आता भी है तो वहां कतारें सुबह से रात तक लगी दिखाई दे रही है। लोगों की परेशानी इसलिए भी बढ़ रही है आखिर कब तक कतारों के चक्कर में दफ्तर और धंधों से दूर रहेंगे। बैंकों में भीड़ इसलिए भी कम दिखाइ्र दे रही है, क्योंकि कई्र जगह छोटे नोट है ही नहीं और चैक से निकासी पर 2000 के नोट ही दिए जा रहे हैं।
इसके चलते कई्र लोग पूछने के बाद चैक से निकासी की राशि कम कर देते हैं। उनका कहना है कि 500 का नोट भी बाजार में नहीं है तो फिर 2000 के छुुट्टे कौन देगा? देना बैंक के एक कर्मचारी का कहना है कि गत पांच-छह दिनों से बैंक में कैश नहीं आया है। पुराने बैलेंस से ही काम चला रहे हैं। छोटे नोट बिलकुल नहीं है।
एेसी जानकारी कुछ और बैंकों से भी मिल रही है। उधर, कई छोटी दुकानों ठेलों वालों ने कैशलेस बैंकिंग को अपनाने के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा सड़क पर बैंठकर धंधा करने वालों जैसे मोची, बैग ठीक करने वाले, पंचर जोडऩे वाले आदि लोगों को परेशानी हो रही है। छुटटे् को लेकर सब्जी वाले और पति से महिलाओं की रोज किचकिच भी हो रही है।
‘शनि व रविवार को चालू रहें बैंक’
गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता शंकर सिंह वाघेला ने चालू माह में शनि व रविवार को बैंकों का कामकाज चालू रखने की जरूरत जताई है। वाघेला ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि वर्तमान में नोटबन्दी के चलते अधिकांश निजी कम्पनियों को उनके कर्मचारी-श्रमिकों का वेतन चैक से देना होगा।
निजी कम्पनियों में वेतन सात तारीख या उसके बाद दिया जाता है। इससे कर्मचारी,श्रमिक बैंक में चैक जमा करेंगे, तो इस बीच दस दिसम्बर को दूसरा शनिवार एवं 11 को रविवार होने से बैंकों में दो दिन लगातार अवकाश रहेगा। तब वेतन का चैक भरने वाले कर्मचारी श्रमिकों को वेतन की राशि निकालने में काफी मुश्किल होगी। छुट्टी के दिन बैंक खुले रखने से जिन श्रमिकों के बैंक खाते नहीं हैं, वे भी अपने खाते खुलवा सकेंगे।
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