दुष्कर्म पीडि़ता को ३ लाख का मुआवजा चुकाए सरकार
-राज्य सरकार ने एक लाख चुकाने की लगाई थी गुहार
दुष्कर्म पीडि़ता को ३ लाख का मुआवजा चुकाए सरकार
अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से दुष्कर्म पीडि़ता को तीन लाख का मुआवजा चुकाए जाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार की अपील याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा। न्यायालय ने नई अधिसूचना के आधार पर राज्य सरकार को यह रकम दुष्कर्म पीडि़ता को चुकाए जाने को कहा। गिर सोमनाथ जिले की उना स्थित विशेष पोक्सो अदालत ने राज्य सरकार से दुष्कर्म पीडि़ता को 3 लाख रुपए के मुआवजे का आदेश दिया था। यह रकम दुष्कर्म पीडि़ता को नहीं मिल सकी थी।
उधर राज्य सरकार ने निचली अदालत के मुआवजे की राशि के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देते यह कहा कि सरकार पीडि़ता को एक लाख रुपए से ज्यादा का मुआवजा नहीं दे सकती, साथ ही अदालत को यह कोई अधिकार नहीं है कि दुष्कर्म पीडि़ता को कितना मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसलिए इस आदेश को खारिज किया जाए।
पीडि़ता के पिता की ओर से वकील भाविक समाणी ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के आधेस के तहत केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दुष्कर्म पीडि़ता को न्यूनतम तीन लाख रुपए के मुआवजा का प्रावधान किया है। इसलिए केन्द्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर राज्य सरकार को भी दुष्कर्म पीडि़ता को तीन लाख का मुआवजा देना चाहिए। केन्द्र सरकार की अधिसूचना के बाद राज्य सरकार ने भी अपनी नई अधिसूचना जारी की।
यह मामला गिर सोमनाथ जिले की ऊना की 15 वर्षीया दुष्कर्म पीडि़ता से जुडा है। वर्ष 2015 में पीडि़ता से दुष्कर्म की घटना घटी थी। वर्ष 2017 में विशेष अदालत ने आरोपियों को अपहरण, दुष्कर्म व पोक्सो अधिनियम के तहत दोषी मानते हुए दस वर्ष की कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार ने दुष्कर्म पीडि़ता परिवार को 3 लाख का मुआवजा दिए जाने को कहा था।
उधर राज्य सरकार ने यह मुआवजा नहीं दिया और पीडि़ता के पिता को पत्र मेंं यह जानकारी दी गई कि राज्य सरकार के दिशानिर्देश के तहत नियत रकम से ज्यादा मुआवजा नहीं दिया जा सकता। न्यायालय ने अंतरिम आदेश में पीडि़त के पिता को एख लाख रुपए देने को कहा था, साथ ही 2 लाख रुपए हाईकोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने को कहा था। हालांकि न्यायालय के आदेश के बावजूद पीडि़त परिवार को यह रकम नहीं मिल सकी थी।