गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा ने कहा कि 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री ने 15.44 लाख करोड़ रुपए नोटों को रद्द करने का निर्णय किया। इसका मकसद आतंकवाद पर लगाम लाने, कालाधन रोकने और नकली नोटों को नाबूद करना बताया गया था, लेकिन कोई भी उद्देश्य सिद्ध नहीं हुआ। उसके विपरीत नई नोटों को छापने पर 7965 करोड़ रुपए खर्च हुए। चावड़ा ने इसे तुगलकी फरमान बताते कहा कि इस निर्णय से लघु एवं मध्यम उद्योगों की हालत खस्ता हो गई। कुटीर उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच गए। करोड़ों ने रोजगार खोया।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी में न सिर्फ आर्थिक बदहाली हुई बल्कि लोगों को कतारों में खड़े रहना पड़ा। केन्द्र की मोदी सरकार ने अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए यह कदम उठाया, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ा। कारोबार ठप हो गया। कालाधन, जाली नोटों और आतंकवाद गतिविधियों पर लगाम लगाने के दावे किए गए थे, लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार पूरी तरह विफल रही। इसके विरोध में कांग्रेस की ओर से मंगलवार सुबह 11 बजे से जिला कलक्टर कार्यालयों पर धरना दिया जाएगा।