सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने युवाओं से कहा कि वे अपनी असफलताओं से सीखें। उन्होंने खुद भी अपनी असफलताओं से सीखा है। उन्होंने कहा कि हमारी औपचारिक शिक्षा यह नहीं सिखाती है कि विकास के लिए विफलता आवश्यक है। सभी समस्याओं का समाधान न ढूंढ पाने पर भी कभी निराश ना हों।
वे रविवार को वडोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय (एमएसयू) के 72वें दीक्षांत समारोह को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। समारोह में 113 छात्रों और 231 छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इसमें मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, शिक्षामंत्री ऋषिकेश पटेल, कुलाधिपति पूर्व राजमाता शुभांगिनी राजे गायकवाड़, कुलपति डॉ.विजय श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान वडोदरा की महापौर पिंकी सोनी, सांसद रंजन भट्ट, विधायक उपस्थित रहे।
सीजेआई ने कहा कि संशयवाद और निराशावाद को लोगों का दुश्मन बताते हुए इसे पहचानने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह तब होता है, जब चीजें आपके अनुसार नहीं होती हैं। हो सकता है कि आपको वह नौकरी नहीं मिले जो आप चाहते हैं….हो सकता है कि आपके सहकर्मी घोर गुटबाजी में लगे हों। जीवन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना आसान है, लेकिन यह सब केवल एक ही व्यक्ति को पराजित करता है जो कि आप हैं।
उन्होंने कहा कि किसी को यह न कहने दें कि आप अपने सपनों को हासिल करने के लिए पर्याप्त अच्छे या बुद्धिमान नहीं हैं। आप सब कुछ हैं और एक ऐसा राष्ट्र बनाएंगे जो आने वाली पीढ़ियों के लिए वास्तव में रहने लायक होगा।
सुनिश्चित करें कि समाज में असमानता न बढ़े उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले युवाओं से कहा कि यह सुनिश्चित करना आपका काम है कि समाज में असमानता न बढ़े। समाज के अंतिम व्यक्ति को साथ लेकर चलें। लैंगिक समानता वाले समाज को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि युवा एक टिकाऊ भविष्य बनाएं, उसके लिए आपको (युवाओं) को एक टिकाऊ जीवन शुरू करना होगा। आप जब अपने अधिकारों की बात करते हैं तो अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति भी सजग रहें।
शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य बेहतर इंसान बनाना मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आप में से कई लोग वैश्विक नेता बनेंगे। हमारा मानना है कि शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य छात्रों को रोजगार के लिए तैयार करना है.. लेकिन इसके साथ ही आपको एक नेता और एक बेहतर इंसान बनाना भी इसका प्राथमिक उद्देश्य है। ज्ञान और शिक्षा आपके दिमाग को पोषण देते हैं। ये दोनों आप जैसे युवा, आशावादी लोगों को समाज में बदलाव लाने में सक्षम भी बनाते हैं।
जीवन एक मैराथन है न कि 100 मीटर की दौड़ मुख्य न्यायाधीश ने युवाओं से कहा कि बढ़ती प्रौद्योगिकी के बीच स्नातक होने का यह एक रोमांचक समय है.. आप खुद से पूछ सकते हैं कि क्या आप सही रास्ता चुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी हमारे समय की चुनौतियों से अवगत है। भारत जनसांख्यिकीय परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है.. अब नुस्खा यह जानना है कि जीवन एक मैराथन है न कि 100 मीटर की दौड़।
अच्छी तबियत नहीं होने के कारण नहीं आ सके सी जे आई सीजेआई चंद्रचूड़ ने विद्यार्थियों को बधाई दी और यह भी बताया कि ज्यादातर गोल्ड मेडल छात्राओं ने हासिल किया है। उन्होंने भौतिक रूप से कार्यक्रम में उपस्थित नहीं होने पर माफी भी मांगी। एमएसयू की कुलाधिपति गायकवाड और कुलपति ने भी बताया कि सीजेआई स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए वडोदरा में नहीं आ सके।