भारत संस्कृति, भाषा, बोली, खानपान में विविधता के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण स्थल है। भारत में व्यापार की चुनौतियां भी हटकर हैं। इसे साथ रखते हुए भी भारत की आगे बढऩे की कला को जानने के लिए आज पूरा विश्व इच्छुक है। जिसमें यह अल्पकालिक कोर्स एक ब्रिज की भूमिका निभा रहा है। जिस कारण इसकी मांग और विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है।
-डॉ. निगम दवे, अध्यक्ष, अंतरराष्ट्रीय संबंध कार्यालय, पीडीपीयू
इस कोर्स में विकासशील नहीं बल्कि अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा सरीखे विकसित देशों के विद्यार्थी-प्रोफेसर, प्रोफेशनल, अधिकारी शिरकत करते हैं। 18 से लेकर ६० साल की आयु के विद्यार्थी-प्रोफेशनल आए हैं। शॉर्ट टर्म कोर्स होने के बावजूद भी तीन क्रेडिट का यह कोर्स है। इसमें भारतीय मनोविज्ञान, भारतीय की विरासत, संस्कृति, आर्थिक, राजनैतिक परिदृश्य, प्रशासन, तेल, गैस क्षेत्र, डूइंग बिजनेस इन इंडिया सरीखे 17 मुद्दों का अनुभव-टूर आधारित ज्ञान दिया जाता है। संबंधित क्षेत्र के विषय विशेषज्ञ, अधिकारी लेक्चर लेते हैं। जिससे मांग बढ़ी और कोर्स को दो साल की जगह 2018 से हर साल करना पड़ा। इस साल से गुजरात के बाहर के अन्य शहरों का अध्ययन टूर भी शामिल किया है।
–प्रो.रितु शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ लिबरल स्टडी, पीडीपीयू
साल विद्यार्थी-प्रोफेसर संख्या देश
२०१६ – १३ – ऑस्ट्रेलिया
२०१८ -३९ -ऑस्ट्रेलिया, अमरीका
२०१९ -४९- ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, कनाडा