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अहमदाबाद

International Yoga Day योग में शोध के लिए भी आगे आ रहे विद्यार्थी

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष, देश के पहले योग विश्वविद्यालय लकुलिश में पहले ही साल पीएचडी के लिए ३७ आवेदन, 12 को प्रवेश, एमफिल में भी १७ आवेदन, बीते साल एमफिल में 16 को प्रवेश

अहमदाबादJun 21, 2019 / 05:46 pm

nagendra singh rathore

Yoga

योग में शोध के लिए भी आगे आ रहे विद्यार्थी

नगेन्द्र सिंह

अहमदाबाद. भारत की प्राचीन परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन योग व उसके योगदान के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र महासभा में छह साल पहले बताने के बाद बने माहौल के चलते न सिर्फ बड़ी संख्या में लोग योग सीख रहे हैं। बल्कि योग में शोध के लिए भी विद्यार्थी आगे आ रहे हैं।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अहमदाबाद में स्थित देश की पहली योग यूनिवर्सिटी लकुलिश योग यूनिवर्सिटी (एलवाईयू) में वर्ष २०१९ में पहले ही साल में योग में पीएचडी करने के लिए ३७ विद्यार्थियों ने आवेदन किया है। २०१९ में ही यूनिवर्सिटी की ओर से अष्टांगयोग और कर्म ज्ञान एवं भक्ति योग इन दो क्षेत्रों में पीएचडी की शुरूआत की गई है। पहले ही साल में ३७ विद्यार्थियों ने आवेदन किया, जबकि विवि प्रशासन ने सिर्फ पांच सीटों के लिए ही आवेदन मांगे थे। ३७ में से १2 विद्यार्थियों को विवि में उपलब्ध गाइड के तहत पीएचडी में प्रवेश दिया गया है।
इससे पहले वर्ष २०१८ से योग में एमफिल की शुरूआत हुई। २०१८ में अष्टांग योग में छह विद्यार्थियों ने जबकि १० विद्यार्थियों ने कर्म ज्ञान एवं भक्ति योग के एमफिल में प्रवेश लिया। इस साल २०१९ में भी अब तक १० ने अष्टांग योग में एमफिल करने के लिए और सात ने कर्म ज्ञान एवं भक्ति योग में एमफिल करने के लिए आवेदन किया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के ११ दिसंबर २०१४ की घोषणा के बाद से ही 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में विश्वभर में मनाया जा रहा है।
योग से नेत्ररोग का उपचार-फायदे पर शोध
खुद को स्वस्थ्य रखने के लिए योग करने की शुरूआत की थी। फायदे देख योग टीचर ट्रेनिंग कोर्स (अल्पकालिक) किया। उसके बाद एमए किया और एमए के दौरान किए प्रोजेक्ट ने उन्हें योग से नेत्र रोग का उपचार संभव है, इसके क्या क्या फायदे हैं इसे प्रस्थापित करने के लिए इसमें शोध करने को प्रेरित किया। जिसके चलते लकुलिश योग यूनिवर्सिटी से योग में पीएचडी (शोध) में प्रवेश लिया है।
-शगुन टुटेजा, छात्रा, पीएचडी, लकुलिश योग यूनिवर्सिटी
प्राकृतिक योग को जानने की उत्सुकता बढऩे का असर
योग को लेकर बीते कुछ सालों में कई भ्रांतियां फैली हैं। ज्यादातर योग शारीरिक, जिम्नास्टिक के दृष्टिकोण को देखते हुए ही प्रचारित किया जा रहा है। जिससे योग सीखने के प्रति गंभीर लोग भारत के प्राकृतिक योग को जानने के लिए उत्सुक हो उठे हैं। शारीरिक स्वस्थ्यता योग का एक अंग भर है। योग से शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वस्थ्यता और लचीलापन भी आता है। यही वजह है कि योग में एमफिल, पीएचडी सरीखे शोध कोर्स को चुनने के लिए विद्यार्थी आगे आ रहे हैं।
-डॉ.ब्रजेश सिंह, पीएचडी गाइड, योग, लकुलिश योग विवि
एमफिल से ज्यादा पीएचडी की मांग
योग में एमफिल से ज्यादा पीएचडी कोर्स की मांग देखी जा रही है। इस साल ही योग में पीएचडी शुरू की है। पीएचडी में प्रवेश के लिए पहले ही साल में ३७ विद्यार्थियों ने आवेदन किए। १२ को प्रवेश दिया गया है। एमफिल में 2018 में 16 को प्रवेश दिया था। इस साल 2019 में 17 के करीब आवेदन आए हैं।
-विवेक महेश्वरी, समन्वयक, एमफिल, पीएचडी, लकुलिश योग विवि
योग में शोधार्थियों का बढऩा अच्छा संकेत
योग यूं तो खुद की प्रेक्टिस है, लेकिन इससे नाडी शुद्धि होती है। शरीर में ७२ हजार नाडिय़ां हैं। जिससे शारीरिक शुद्धता आती है और शारीरिक शुद्धता के बाद बौद्धिक, चित्त में बेहतरी होती है। लोग अब इससे क्या क्या फायदे हैं इसे जानने के लिए आगे आ रहे हैं। यही वजह है कि योग में शोध करने के लिए भी विद्यार्थी आगे आ रहे हैं। यह अच्छा संकेत है।
-ओहमप्रकाश दवे, रजिस्ट्रार, लकुलिश योग विवि

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