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अजमेर

इस जीप ने 1971 में 37 पाकिस्तानी टैंक को चटाई थी धूल

इसके माध्यम से सैनिकों ने दुश्मन के 37 टैंक की कब्रगाह बना दी। इस रेजीमेंट और जीप को लेकर बॉर्डर फिल्म बन चुकी है।

अजमेरAug 07, 2019 / 07:46 am

raktim tiwari

mounted gun jeep

mounted gun jeep

रक्तिम तिवारी/अजमेर

मेयो कॉलेज में सेना की तोप लगी विशेष जीप (jeep)का बुधवार सुबह 9 बजे लोकार्पण किया जाएगा। सेना के दक्षिण पश्चिम कमांड (south western command) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथ्सन इसका लोकार्पण करेंगे।
निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एस. एच. कुलकर्णी ने बताया कि बीकानेर पवेलियन पर सेना (army) की तोप लगी विशेष जीप का लोकार्पण समारोह होगा। यह जीप सेना ने मेयो कॉलेज को उपहार (gift) में दी है। इससे पहले नौसेना मेयो कॉलेज (mayo college) को उपहार प्रदान कर चुकी है।
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1971 के युद्ध में किया था कमाल
इस जीप ने 1971 के भारत-पाक युद्ध (indo pak war)के दौरान कमाल का प्रदर्शन किया था। लौंगेवाला क्षेत्र में पंजाब रेजीमेंट की 23 वीं बटालियन तैनात थी। मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी (kuldeep singh chandpuri) इसका नेतृत्व कर रहे थे। 4 और 5 दिसंबर 1971 की मध्य रात्रि को पाकिस्तान (pakistan)टैंक रेजीमेंट (regiment) ने लौंगेवाल पोस्ट पर आक्रमण कर दिया। दुश्मन के पास 45 टैंक थे। इसके जवाब में पंजाब रेजीमेंट (punjab regiment) ने जमकर मुकाबला किया। 106 मिलीमीटर की तोप लगी विशेष जीप ने कमाल का प्रदर्शन किया। इसके माध्यम से सैनिकों ने दुश्मन के 37 टैंक (pak tanks)की कब्रगाह (graveyard) बना दी। इस रेजीमेंट और जीप को लेकर बॉर्डर फिल्म बन चुकी है।
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एडमिरल लांबा ने दिया था सी-हैरियर
पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल सुनील लाम्बा (ex admiral sunil lanba) ने मेयो कॉलेज को मई में सी-हैरियर एयरक्राफ्ट (c-harrier aircraft) गिफ्ट किया था। उन्होंने 1 मई को आयोजित समारोह में कहा ता कि नाकामी और विषमताएं भी हमें सीख देती हैं। हमें नाकामी में भी सकारात्मक सूत्र (positive message) तलाशने चाहिए। यही हमें कामयाबी की ओर प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा था कि वद्यार्थी (students)और युवा देश का भविष्य (future of country) हैं। इनके बूते भारत विकसित राष्ट्र (developed country) बन सकता है। जीवन में कई विफलताएं और विषमताएं आती हैं। हमें इनसे घबराने-भागने के बजाय उनमें सकारात्मक सूत्र तलाशने चाहिए। यही नाकामियां हमें कामयाबी के शिखर (sky hight) तक पहुंचाती हैं। महात्मा गांधी ने भी विफलताओं से सीख लेनी की बात कही है।

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