इस जीप ने 1971 के भारत-पाक युद्ध (indo pak war)के दौरान कमाल का प्रदर्शन किया था। लौंगेवाला क्षेत्र में पंजाब रेजीमेंट की 23 वीं बटालियन तैनात थी। मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी (kuldeep singh chandpuri) इसका नेतृत्व कर रहे थे। 4 और 5 दिसंबर 1971 की मध्य रात्रि को पाकिस्तान (pakistan)टैंक रेजीमेंट (regiment) ने लौंगेवाल पोस्ट पर आक्रमण कर दिया। दुश्मन के पास 45 टैंक थे। इसके जवाब में पंजाब रेजीमेंट (punjab regiment) ने जमकर मुकाबला किया। 106 मिलीमीटर की तोप लगी विशेष जीप ने कमाल का प्रदर्शन किया। इसके माध्यम से सैनिकों ने दुश्मन के 37 टैंक (pak tanks)की कब्रगाह (graveyard) बना दी। इस रेजीमेंट और जीप को लेकर बॉर्डर फिल्म बन चुकी है।
पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल सुनील लाम्बा (ex admiral sunil lanba) ने मेयो कॉलेज को मई में सी-हैरियर एयरक्राफ्ट (c-harrier aircraft) गिफ्ट किया था। उन्होंने 1 मई को आयोजित समारोह में कहा ता कि नाकामी और विषमताएं भी हमें सीख देती हैं। हमें नाकामी में भी सकारात्मक सूत्र (positive message) तलाशने चाहिए। यही हमें कामयाबी की ओर प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा था कि वद्यार्थी (students)और युवा देश का भविष्य (future of country) हैं। इनके बूते भारत विकसित राष्ट्र (developed country) बन सकता है। जीवन में कई विफलताएं और विषमताएं आती हैं। हमें इनसे घबराने-भागने के बजाय उनमें सकारात्मक सूत्र तलाशने चाहिए। यही नाकामियां हमें कामयाबी के शिखर (sky hight) तक पहुंचाती हैं। महात्मा गांधी ने भी विफलताओं से सीख लेनी की बात कही है।