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अजमेर

एचसीएल के खिलाफ दर्ज करवाया मुकदमा

उपभोक्ताओं का डाटा नहीं देने का मामला-मंथली बिलिंग से इनकार

अजमेरSep 16, 2020 / 12:36 am

bhupendra singh

Rajasthan Electricity Bill Affecting Budget Of Households

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अजमेर.अजमेर विद्युत वितरण निगम ajmerdiscom ने उसे बिलिंग सॉफ्टवेयर प्रदान कर रही एचसीएल HCL कम्पनी के प्रतिनिधियों के खिलाफ धारा 420 और 406 में मामला दर्ज Case filed किया गया है। क्रिश्चियनगंज थाना प्रभारी डॉ.रविश कुमार ने बताया कि निगम के एसई (आईटी)अशोक शर्मा ने रिपोर्ट में बताया कि एचसीएल कम्पनी डिस्कॉम का डाटा ट्रांसफर नहीं कर रही है। इसके बदले अतिरिक्त राशि की डिमांड की जा रही है। उन्होंने एचसीएल हैड अजीत नायक, सुशील, हितेश माथुर, अजितेश, श्याम, राहुल और राजेश सहित 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। एचसीएल कम्पनी निगम को बिलिंग सॉफ्टवेयर प्रदान करती है। कम्पनी तो मंथली बिलिंग को तैयार है और न ही उपभोक्ताओं का डाटा दे रही है।
10 जिलो में मुश्किल में मंथली बिलिंग

उपभोक्ताओं का डाटा नहीं मिलने से राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (आरईआरसी) के आदेश पर मंथली बिलिंगmonthly billing की तैयारी में जुटे अजमेर विद्युत वितरण निगम को भीलवाड़ा, नागौर, राजसमन्द, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, चित्तौड़, उदयपुर, बांसवाड़ा, सीकर, झुंझुनूं सर्किल में मुश्किलों को सामना करना पड़ेगा। यदि मंथली बिलिंग नहीं हुई तो आरईआरसी अजमेर डिस्कॉम पर पेनल्टी लगाएगा। दिसम्बर तक मंथली बिलिंग के लिए अजमेर डिस्काम आरईआरसी के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत कर चुका है। अजमेर के अलावा अन्य 65 छोटे व शहरों में दिसम्बर तक इन शहरों के करीब 50 लाख उपभोक्ताओं को प्रतिमाह बिजली बिल जारी करना है।
यह है विवाद
आरएपीडीआरपी योजना के तहत अजमेर, जयपुर व जोधपुर डिस्कॉम का डाटा सेंटर जयपुर में तथा रिकवरी सेंटर जोधपुर में बनाया गया था। इसमें 17 एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कम्पनी को तैयार कर देनी थी इसके बाद ही भुगतान होना था। इसके अलावा अजमेर डिस्कॉम के सभी कार्यालय में कम्प्यूटर और राउटर 800 एचटी उपभोक्ताओं के फीडर पर मोडम लगाए जाने थे इन्हें डाटा सेंटर से लिंक किया जाना था। कुछ समय बाद जयपुर डिस्कॉम ने डाटा सेंटर से खुद को अलग कर लिया इसके बाद डाटा सेंटर के भुगतान को लेकर मामला अटक गया। सॉफ्टवेयर कम्पनी अपना भुगतान मांग रही है। कम्पनी का कहना है कि उसने जनवरी 2020 में ही मंथली बिलिंग की आवश्यकताओं के अनुसार प्रस्ताव तैयार कर निगम को दे दिया था, अतिरिक्त आधारभूत ढांचा तथा मैनपावर की जरूरत बताई गई थी लेकिन अब तक न तो कोई मंजूरी दी गई और न ही भुगतान दिया गया।

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