कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन के चलते जेईई मेन, यूजीसी नेट, नीट और अन्य प्रवेश परीक्षा स्थगित की गई है। सोशल डिस्टेंसिंग की उपयोगिता और विद्यार्थियों के हित में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने विद्यार्थियों को पसंदीदा शहर चुनने का विकल्प दिया है।
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भारत के यूनिवर्सिटी हैं बहुत पीछे हैं इस मामले में…. रक्तिम तिवारी/अजमेर. कोरोना के चलते भारत सहित कई देशों में लॉकडाउन है। दुनिया के नामचीन विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कोर्स को नि:शुल्क कर दिया है। लेकिन हमारे देश के 90 फीसदी यूनिवर्सिटी-संस्थान अभी पिछड़े हैं। विद्यार्थियों को नि:शुल्क ऑनलाइन कोर्स पढऩे की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई सुविधा देने के लिए स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स पोर्टल बना हुआ है। इससे देश के कई आईआईटी, आईआईएम, केंद्रीय विश्वविद्यालय और कॉलेज जुड़े हैं।यूं पढ़ते हैं विद्यार्थीपोर्टल पर कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईटी और प्रतिष्ठित कॉलेज के ऑनलाइन कोर्स नि:शुल्क उपलब्ध हैं। कोर्स पढऩे-सर्टिफिकेट के लिए विद्यार्थी ऑनलाइन पंजीयन कराते हैं। संस्थानों ने 500 से 1 हजार रुपए तक फीस निर्धारित की है। पंजीयन के बाद विद्यार्थी ऑनलाइन कोर्स में पढ़ाई के बाद परीक्षा देते हैं। इसमें 70 अंकों का पेपर और 30 अंकों की आंतरिक मूल्यांकन फाइल जमा होती है।
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सीखें दुनिया के संस्थानों सेकोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए दुनिया के कई संस्थानों ने नई पहल की है। केम्ब्रिज, लंदन, मैसेच्यूट्स, हावर्ड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों ने अपने ऑनलाइन कोर्स नि:शुल्क कर दिए हैं। ताकि विद्यार्थी संकट की घड़ी में पढ़ाई कर सकें। इनमें ऐसे कोर्स शामिल हैं, जिनकी फीस लाखों रुपए है। भारत के शीर्ष संस्थानों ने फिलहाल ऐसी कोई पहल नहीं की है।