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देवनानी ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा पटरी पर नहीं है। यहां मध्यप्रदेश एवं छतीशगढ की तर्ज पर उच्च शिक्षा नियामक आयोग बनाने की आवश्यकता है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। ताकि राज्य के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में अधिकाधिक प्रवेश और शोध के अवसर मिलें। यह भी पढ़ें
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लेकिन उच्च शिक्षा में सकारात्मक परिणाम नहीं आ पाए। निजी विश्वविद्यालयों में मनमाने ढंग से दाखिले जारी हैं। कोर्स की अवधि और नियमबद्धता का ठिकाना नहीं है। फर्जी डिग्रियां बांटने की शिकायतें मिली हैं। यूजीसी के नियम व मापदण्डों के विरूद्ध शिक्षकों कीनियुक्तियां हो रही हैं। यह भी पढ़ें
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करने होंगे मिलकर प्रयासदेवनानी ने राज्य में गरीब विद्यार्थियों को सस्ती उच्च शिक्षा और पारदर्शी प्रक्रिया से योग्य प्राध्यपकों की नियुक्ति के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। उच्च शिक्षा के मौजूदा हालात से विद्यार्थी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। हम सबको राजनीति से उपर उठकर प्रयास करना होगा।
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