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ELECTION 2018 : सिंधिया को ही सीएम देखना चाहते हैं सब, पर अपने ही लोग रोकेंगे रास्ता

मध्यप्रदेश की जनता ने पत्रिका मध्यप्रदेश के सर्वे में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनी पहली पसंद बताया है, लेकिन सिंधिया के लिए ये राह इतनी आसान नहीं है.

भोपालFeb 27, 2018 / 07:18 pm

rishi upadhyay

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भोपाल। पत्रिका मध्यप्रदेश के ताजा सर्वे में सामने आया है कि मध्यप्रदेश की जनता जिस नेता को सबसे ज्यादा पसंद करती है, उनका नाम है ज्योतिरादित्य सिंधिया। सिंधिया राजवंश के महाराज, प्रदेश की जनता की पहली पसंद हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कराए गए सर्वे में सवा लाख से भी ज्यादा वोटर्स ने अपनी प्रतिक्रिया दी और 58 प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों ने इस बात पर मुहर लगाई है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के चेहरे के तौर पर उनकी अगली पसंद हैं। यानि मध्यप्रदेश के अगले सीएम के तौर पर प्रदेश की जनता ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही देखना पसंद करती है।

 

अब जबकि प्रदेश की जनता का रुझान सिंधिया की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है, तो जाहिर तौर पर एक सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वाकई ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे और क्या वाकई मध्यप्रदेश कांग्रेस और पार्टी आलाकमान इस बात के लिए तैयार हैं कि पार्टी के इलेक्शन फेस की खाली जगह को सिंधिया के नाम से भर दिया जाए?

 

इस बारे में फिलहाल यही नजर आता है कि शायद मध्यप्रदेश कांग्रेस भी सिंधिया को ही अपना अगला सीएम कैंडिडेट प्रोजेक्ट कर दे, लेकिन भीतरखाने चल रही सुगबुगाहट से ऐसा कोई भी संकेत मिलता नजर नहीं आ रहा है। ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बीते दो महीने से प्रदेश में पार्टी के चेहरे पर चल रही माथापच्ची का कोई हल नहीं निकला। यहां तक कि पार्टी के सभी धड़ों की जोरदार पेशकश के बाद भी आलाकमान ने इस बारे में सिर्फ यही कहा कि प्रदेश में पार्टी किसी चेहरे के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी।

 

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पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया भी इस बारे में कोई फैसला नहीं ले पाए, जबकि उन्होंने पार्टी के चुनावी चेहरे और सभी नेताओं की परफॉर्मेंस का रिपोर्ट कार्ड तक तैयार कर लिया था। तो चलिए एक बार फिर से इस बात नजर डालने की कोशिश करते हैं कि जनता के समर्थन के बाद भी सिंधिया के सीएम बनने की राह में कौन सी दिक्कतें हैं।

 

मालवा में सज्जन सिंह वर्मा और कांतिलाल भूरिया सक्रिय हैं तो खरगोन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव दबदबा रखते हैं। सुरेश पचौरी भी गुटबाजी की इस दौड़ में हैं, लेकिन अब सुरेश पचौरी की लोकप्रियता पहले से काफी कम हो चुकी है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह रीवा संभाग में अपनी राजनीतिक विरासत कायम रखे हुए हैं।

 

वहीं ग्वालियर संभाग और बुंदेलखण्ड का बड़ा क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभुत्व वाला माना जाता है। माना जाता है कि इनमें से कुछ बड़े नाम अपने आपको सीएम कैंडिडेट के तौर पर देखते हैं, और यही वजह मानी जाती है कि केन्द्रीय आलाकमान प्रदेश में बिना चेहरे के ही चुनाव लड़ने की बात करता आया है। क्योंकि प्रदेश में वापसी के लिए पार्टी को हर बड़े नेता को जोड़ कर चलना है, और किसी भी नेता को फ्रंट पर रखने का मतलब है, बाकि बड़े नामों को नाराज करना। शायद यही वजह कि पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकप्रियता को देखते हुए भी उन्हें सीएम प्रोजेक्ट नहीं कर पा रही है।

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दिग्गी राजा की वापसी का इंतजार
14 साल से मध्यप्रदेश में वनवास झेल रही कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए लगातार छटपटा रही है। निकाय चुनाव के परिणाम पक्ष में आने के बाद कांग्रेस की ये उम्मीद और मजबूत हुई है। बीते महीने इसी संदर्भ में कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविंद सिंह ने दावा किया था कि आगामी विधानसभा चुनाव में सूबे की सत्ता पर कांग्रेस का ही कब्जा होगा। इसके पीछे उन्होंने बड़ा तर्क देते हुए कहा था कि नर्मदा परिक्रमा पूरी करने के बाद दिग्विजय सिंह सूबे की राजनीति में वापसी करेंगे और आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की मजबूती और कांग्रेस को सत्ता दिलाने के लिए काम करेंगे।

 

हालांकि उन्होंने ये भी कहा था कि दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश में न तो चुनाव लड़ना है न ही उन्हें सत्ता की आकांक्षा है। दिग्विजय सिंह अपने वचन के पक्के हैं और पहले ही चुके हैं कि वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं। वे कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं के साथ मिलकर भाजपा की सरकार को मध्य प्रदेश से हटाने का काम करेंगे।

 

यदि ऐसा होता है तो एक बात तो तय है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस के चेहरे को लेकर दिग्विजय सिंह ही बड़ा फैसला करेंगे। यदि ऐसा होता है तो इस बात की संभावना कम ही लगती है कि दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया का चुनाव करेंगे। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा कई ऐसे बड़े नाम हैं जो दिग्विजय सिंह के करीबी हैं। जिनका भी ये मानना है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में दिग्विजय सिंह की जरूरत महसूस की जा रही है। कई कांग्रेसियों का मानना है कि शिवराज सिंह से लोहा लेने का दम केवल दिग्विजय सिंह जैसे नेता में ही है। भले ही दिग्विजय सिंह अब राष्ट्रीय स्तर के नेता हो गए हों, परंतु अपने मध्यप्रदेश में कांग्रेस को वापस सत्ता में लाने के लिए उन्हें समय निकालना ही चाहिए।

 

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खुद ज्योतिरादित्य ही हट सकते हैं सीएम की दावेदारी से
वैसे कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि ज्योतिरादित्य की दावेदारी को खुद ज्योतिरादित्य ही समाप्त कर सकते हैं। ये बात इसलिए चर्चा में है क्योंकि सिंधिया राजघराने की तीन पीढ़ियों में किसी ने भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर खुद को प्रोजेक्ट नहीं किया और न ही पार्टी को करने दिया। ये बात राजमाता विजयाराजे सिंधिया के परिप्रेक्ष्य में बीजेपी पर लागू होती है, वहीं कांग्रेस के नेता के तौर पर माधवराव सिंधिया में।

दोनों ने ही अपने राजनैतिक कार्यकाल के दौरान कभी भी इस बात की कोशिश भी नहीं कि, कि उन्हें मध्यप्रदेश के सीएम के तौर पर चुना जाए, जबकि दोनों ही नेता अपने समय में खासे लोकप्रिय रहे हैं, और बड़ी ही आसानी से प्रदेश के सीएम पद के लिए मैदान में उतर सकते थे। माना जा सकता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने परिवार के नक्शेकदम पर चल सकते हैं।

 

दूसरा बड़ा कारण ये है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया केन्द्र की राजनीति में सक्रिय हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया नेशनल टीम की फ्रंट लीड के अहम सदस्य हैं। राहुल गांधी भी अपनी टीम में युवा चेहरों को ही तवज्जो देते हैं, इसलिए इस बात में ज्यादा दम नजर आता है कि सिंधिया शायद ही प्रदेश की राजनीति की ओर रुख करें। ये बात अलग है कि अपनी राजनीतिक जमीन को बनाए रखने के लिए वे मध्यप्रदेश में पूरी सक्रियता दिखाते हैं, लेकिन प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाते उन्हें नहीं देखा गया है।

 

अब तक सवा लाख लोगों ने लिया सर्वे में हिस्सा

हमने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मध्यप्रदेश की जनता से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के तीन तीन नेताओं को लेकर इस बारे में सवाल पूछा था कि मध्यप्रदेश के इन दिग्गज नेताओं में आपकी पसंद कौन है। भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सिंह, नरेन्द्र सिंह तोमर और उमा भारती को लेकर सवाल पूछा गया था, वहीं कांग्रेस के ज्यातिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के नाम सामने थे।

 

तकरीबन 1 लाख 13 हजार से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट में भाग लिया। इनमें से 58 फीसदी लोगों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिया। वहीं शिवराज सिंह चौहान को अपने पसंदीदा नेता के तौर पर सिर्फ 32 फीसदी लोगों ने शिवराज सिंह चौहान का नाम लिया, वहीं 6 फीसदी लोगों ने उमा भारती की राजनीति में वापसी की मांग की, उनका कहना था कि उमा भारती को वे एक बार फिर से प्रदेश के मुखिया के तौर पर देखना चाहते हैं। बाकी लोगों ने दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और नरेन्द्र सिंह तोमर का नाम लिया।

 

58 फीसदी वोट के साथ ज्योतिरादित्य लोगों की पहली पसंद
सवा लाख लोगों ने इस सर्वे में भाग लिया, जिनमें से ज्यादातर ने कहा कि उन्हें मध्यप्रदेश में सीएम के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम पसंद है। शुरूआती रुझानों को देखकर माना जा रहा था कि मध्यप्रदेश के वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान को शायद सबसे ज्यादा वोट मिल सकते हैं, लेकिन कुछ ही घंटों में ये साफ हो गया कि प्रदेश की जनता का मूड कुछ और ही कहता है। सोशल मीडिया पर लगभग 58 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे मध्यप्रदेश के अगले सीएम के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया को देखना चाहते हैं।

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