क्या है मामला अगस्त वर्ष 2018 में तत्कालीन सरकार ने कचहरी रोड स्थित पुराने पीआरओ भवन में अभय कमाण्ड सेंटर स्थापित कर दिया। हालांकि उस समय तक केवल सेटअप ही तैयार किया गया था। इसके बाद केबल, इलेक्ट्रिसिटी तथा फाइबर लाइन बिछाने का कार्य शुरू किया गया। लेकिन धीमी गति से कार्य के चलते तीन साल बाद भी 379 में से केवल 133 कैमरे लग पाए हंै। वहीं अब भी फाइबर बिछाने तथा इलेक्ट्रिक कार्य पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में अन्य कैमरे भी नहीं लग पा रहे हैं।
इन स्थानों पर इंतजार
लाल बाजार, निहालेश्वर मंदिर, काली माई, तोप तिराहा, रीको, सदर थाना, पुराना चम्बल रोड, वाटर वक्र्स चौराहे से सागरपाड़ा तक।
यहां हाल में ही लगे रोडवेज बस स्टैण्ड, कलक्टर निवास, हॉस्पीटल, चौपड़ा मंदिर
ये स्थान भी कैमरे की नजर में
– सैंपऊ रोड से पचगांव तक- जगदीश चौराहा से जिला परिषद तक- कचहरी गली- स्टेशन- बालाजी नगर जेल रोड- वाटर वक्र्स चौराहा- मचकुंड रोड- सुभाष पार्क, गुरुद्वारा मोड़- कलक्ट्रेट कैम्पस- जगदीश टॉकीज- औडेला रोड, राजाखेड़ा बाइपास
इन समस्याओं का समाधान तो बने बात
अभय कमाण्ड सेंटर की ओर से शहर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों में कनेक्टिविटी पूरी नहीं मिल पाती है। इस कारण कई बार रिकॉर्डिंग ही रुक जाती है। वहीं अभय कमाण्ड की रिकॉर्डिंग का डेटा भरतपुर में सेव होता है, जिसे फिर से यहां देखने पर पिक्सल फट जाती है। अगर डेटा को यहीं सेव किया जाए तो ऑरिजनल पिक्सल पर वीडियो देखी जा सकती है। वहीं कैमरे अगर पीटीजेड क्वालिटी के लगा दिए जाएं तो वे घूमकर रिकॉर्डिंग तो करते ही हैं, साथ ही फुटेज भी लगातार लेते हैं, जिससे किसी भी घटना के फोटो तथा वीडियो मिल सकते हैं। पिक्सल क्वालिटी ठीक नहीं होने के कारण अपराधियों की शक्ल पहचानने में नहीं आती है। इस कारण भी पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
कई जगह कारगर साबित हुए कैमरे
जगह-जगह लगे कैमरों से भले ही अपराधियों की शक्ल नहीं आती हो, लेकिन उनकी गतिविधियां जरूर कैद हो जाती है, जिससे पुलिस वाहन नम्बरों से आसानी से पहुंच सकती है। जैसे गत दिनों हॉस्पीटल रोड के बाहर दोपहर में ही पानी के पाइपों को जेसीबी तथा दो ट्रेक्टरों की सहायता से हाइड्रा में लाद कर ले जाया जा रहा था। जिस पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी। वहीं आशीर्वाद होटल में हुई वारदात में शामिल लोगों के फरार होने की गतिविधियों को भी कैमरों की सहायता से चिह्नित किया गया था।
इनका कहना है
फाइबर लाइन तथा इलेक्ट्रिक कनेक्टिविटी के लिए लगातार कम्पनी को कहा जा रहा है, लेकिन देरी होने के कारण अभी 379 में से 133 कैमरे ही लग पाए हैं। इससे आधा शहर अब भी कैमरों की जद में नहीं है।- अरविंद शर्मा, मैनेजर, अभय कमाण्ड सेंटर, धौलपुर