स्वतंत्रता सेनानी ईसर सिंह बेदी का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। बाबू मोहल्ला निवासी ईसर सिंह बेदी (93) कई दिनों से अस्वस्थ थे।
उनके पैतृक निवास से अंतिम यात्रा निकाली गई। स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा की। अंतिम यात्रा पहाडग़ंज स्थित मुक्तिधाम पहुंची। लोगों ने ईसर सिंह अमर रहे…, जब तक सूरज चांद रहेगा…जैसे नारे लगाए। प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में स्वतंत्रता सेनानी प्रजापति का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया। पुलिस ने बेदी के सम्मान में हवा में फायर किए। साथ ही उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। बेदी के पुत्र और परिजनों ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
उनके पैतृक निवास से अंतिम यात्रा निकाली गई। स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा की। अंतिम यात्रा पहाडग़ंज स्थित मुक्तिधाम पहुंची। लोगों ने ईसर सिंह अमर रहे…, जब तक सूरज चांद रहेगा…जैसे नारे लगाए। प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में स्वतंत्रता सेनानी प्रजापति का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया। पुलिस ने बेदी के सम्मान में हवा में फायर किए। साथ ही उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। बेदी के पुत्र और परिजनों ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी बेदी की मृत्यु पर संवेदना जताई। पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन और कांग्रेस पदाधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित किए। एडीएम सिटी विशाल दवे ने बेदी के पार्थिव शरीर पर तिरंगा ओढ़ाया। चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा की तरफ से भी पुष्पचक्र अर्पित किए। डॉ. बाहेती ने परिजनों से मुलाकात की। स्वतंत्रता सेनानी शोभाराम गहरवार, पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप और अन्य मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी बेदी की मृत्यु पर संवेदना जताई। पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन और कांग्रेस पदाधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित किए। एडीएम सिटी विशाल दवे ने बेदी के पार्थिव शरीर पर तिरंगा ओढ़ाया। चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा की तरफ से भी पुष्पचक्र अर्पित किए। डॉ. बाहेती ने परिजनों से मुलाकात की। स्वतंत्रता सेनानी शोभाराम गहरवार, पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप और अन्य मौजूद रहे।
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भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में बेदी अग्रणीय रहे थे। उनका जन्म 23 अक्टूबर 1927 को सिंध प्रांत में हुआ था। भारत-पाक बंटवारे के बाद वह अजमेर आकर बस गए थे। वे रेलवे से 1985 में सेवानिवृत्त हुए थे। हिंदी और सिंधी भाषा के नि:शुल्क अध्यापन में भी उन्होंने सहयोग दिया था।
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में बेदी अग्रणीय रहे थे। उनका जन्म 23 अक्टूबर 1927 को सिंध प्रांत में हुआ था। भारत-पाक बंटवारे के बाद वह अजमेर आकर बस गए थे। वे रेलवे से 1985 में सेवानिवृत्त हुए थे। हिंदी और सिंधी भाषा के नि:शुल्क अध्यापन में भी उन्होंने सहयोग दिया था।