पंचायत राजविभाग के प्रमुख सचिव के अनुसार चुने हुए प्रतिनिधि स्वंय उनकी कुर्सी पर बैठे तथा स्वंय के स्तर पर कार्य सम्पादित करे। स्वंय के द्वारा कार्य संचालन नहीं कर यदि अपने रिश्तेदार/ सम्बन्धी द्वारा कार्य सम्पादित कराया जाता है तो यह कर्तव्यों के निर्वहन में असर्मथता एवं दुराचरण की श्रेणी में आता है। किसी पंचायती राज संस्थाओं में ऐसा व्यवहार पाया जाता है तो सम्बन्धित महिला चेयरपर्सन / ऑफिस बेरियर के विरुद्ध पंचायतीराज अधिनियम की धारा 38 के तहत कार्यवाही की जाएगी। साथ ही इस व्यवहार में सहयोग करने वाले अधिकारी/ कर्मचारी के खिलाफ भी सीसीए नियमों के तहत कार्यवाही की जाएगी।
शहर से लेकर गावों तक कमोबेश यही हाल है। पार्षद पति, सरपंच पति, जिला परिषद सदस्य पति, पंचायत समिति सदस्य पति भी अकसर बैठकों में नजर आते हैं। read more: दुव्यर्वहार की शिकायत पर कर्मचारी सस्पेंड