पत्थरों के अवैध खनन की बात करें तो सरमथुरा क्षेत्र में जंगल में अवैध खनन की माइंस संचालित हैं, जहां से निकलने वाले पत्थर के बड़े-बड़े भूटों से भरे ट्रक और ट्रैक्टर-ट्रॉलियां का आवागमन बेरोकटोक जारी बना हुआ है। बाड़ी क्षेत्र में बड़े स्तर पर संचालित इस अवैध खनन को रोकने के लिए जंगलात विभाग कोई कदम नहीं उठा रहा है,लोगों का तो यहां तक आरोप है कि जंगलात विभाग की मिलीभगत से ही यह अवैध खनन हो रहा है जिसमें खनन विभाग की मौन स्वीकृति हैं।
क्षेत्र में मानसून की पहली बारिश के बाद से बजरी माफिया सक्रिय हो गए है। माफिया ने चंबल नदी के तटवर्ती गांवों के अलावा हाइवे मार्ग के गांवों में भी के बड़े स्टॉक कर लिए है। उल्लेखनीय है कि बारिश के दौरान चंबल नदी में पानी के आवक होने के कारण बजरी के खनन का कार्य नहीं किया जा सकता है।
जिले के बाड़ी सरमथुरा क्षेत्र के बीच आंगई, चिलाचोद, कांकरई बिरजा, गोलारी और मदनपुर के साथ सरमथुरा क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं, जहां पत्थर की जगह-जगह खाने हैं इनमें से कुछ खाने वैध है तो ज्यादातर अवैध रूप से संचालित हो रही है। इन खानों से दिन-रात पत्थर की निकासी हो रही है, अवैध खनन के चलते निकलने वाले भूटो ब्लॉक्स को बिना किसी बिलिंग के सीधे गैंगसा यूनिटों पर सप्लाई किया जा रहा है और चोरी का यह पत्थर रात्रि के अंधेरे में नहीं बल्कि खुलेआम दिन में सप्लाई होते हुए देखा जा सकता है।