अस्पताल प्रशासन की तरफ से अधिकृत रूप से मौत का आंकड़ा नहीं बताया गया। अस्पताल में एक दिन में 22 लोगों की मौत होने तथा कांग्रेस सहित संगठनों की ओर से विरोध प्रदर्शन के बाद अस्पताल प्रशासन अब मौत के आंकड़ों को छुपा रहा है। गुरुवार को ओपीडी, आईपीडी, भर्ती मरीजों की संख्या तो बता दी गई लेकिन मौत की जानकारी नहीं दी गई। शुक्रवार को भी मौत की सूचना है। जबकि सूत्रों के अनुसार बीते 24 घंटों में 15 मरीजों की मौत हो चुकी है।डॉक्टर्स की हड़ताल से अस्पताल लगभग खाली पड़ा है। विभिन्न वार्डों में गंभीर रोगियों को छोड़कर अन्य जा चुके हैं।
पत्रिका व्यू… अगर सरकार हो तो …! अगर सरकार इस सूबे में कहीं है, तो उसे अब प्रकट हो जाना चाहिए। 24 घंटों के दौरान जेएलएन अस्पताल में 22 लोगों की मौत पर अस्पताल प्रशासन का रवैया बेशर्मी भरा ही रहा। प्रशासन ने गुरुवार को हुई मौतों की संख्या तक सार्वजनिक नहीं की, बल्कि कलक्टर गौरव गोयल द्वारा जानकारी लेने पर चार दिनों (16 से 19 दिसम्बर) में हुई मौतों का औसत (करीब 13 मौत प्रतिदिन) निकालकर एक प्रेस नोट जारी कर दिया।
इस पर संतोष भी जाहिर किया कि इससे पिछले पांच दिनों (11 से15 दिसम्बर) में तो मौतों का औसत (करीब 13.2) था। अब तो मौतों में कमी आई है। क्या मौतों के संवेदनशील मामले में भी औसत और प्रतिशत पर बात होनी चाहिए। क्या डॉक्टर्स की हड़ताल इसके लिए जिम्मेदार नहीं है? सरकार न जाने डॉक्टर्स को कौनसा सबक सिखाना चाहती है और डॉक्टर्स न जाने सरकार को कौनसी जमीन सुंघाना चाहते हैं। इन सबके बीच आम लोगों की जान पर बन आई है। जनता के सब्र की एक सीमा है। वो जिस दिन चाहेगी जिसे चाहेगी सबक सिखा ही देगी।