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अजमेर

राजस्थान में बेटियां हैं ज्यादा तंदरुस्त, बेटों को नहीं मिल रहा हैल्दी फूड

पोषण उपचार केन्द्र में रैफर होकर भर्ती होने वाले बच्चों में अब तक सर्वाधिक संख्या बेटों की है।

अजमेरAug 13, 2017 / 03:53 pm

Prakash Chand Joshi

राजस्थान में बेटियां हैं ज्यादा तंदरुस्त, बेटों को नहीं मिल रहा हैल्दी फूड

पोषण उपचार केन्द्र में रैफर होकर भर्ती होने वाले बच्चों में अब तक सर्वाधिक संख्या बेटों की है।

नवजात बच्चों को छह माह तक प्रसूता माता की ओर से स्तनपान कराने में अनियमितता एवं इसके बाद दो वर्ष तक बच्चों को संतुलित आहार की कमी के चलते कुपोषण की समस्या उत्पन्न हो रही है। मगर चौंकाने वाले तथ्य यह है कि बेटियों से अधिक बेटे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। इनमें भी अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं बीपीएल परिवारों के ४६ प्रतिशत बच्चे शामिल हैं।
संभाग मुख्यालय के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के शिशु औषध विभाग स्थित कुपोषण उपचार केन्द्र में रैफर होकर भर्ती होने वाले बच्चों में अब तक सर्वाधिक संख्या बेटों की है। इससे जाहिर है कि ग्रामीण क्षेत्र में आज भी बच्चों के खान-पान को लेकर माता-पिता जागरूक नहीं हैं। प्राय: प्रसूता माता की ओर से छह माह के दौरान ही बच्चों को बोतल से दूध पिलाने एवं इसके बाद अन्य कोई तरल पेय या आहार नहीं देने से बच्चों में कद के अनुपात में न तो वजन बढ़ता है न शरीर तंदुरुस्त रहता है।
एमटीसी की स्थिति (अब तक)
श्रेणी कुपोषित बच्चों की संख्या प्रतिशत

बालिकाएं ७२६ ५१.६७
बालक ७२९ ५५.४४

अजा/अजजा एवं बीपीएल के ४६ फीसदी बच्चे

संभागीय मुख्यालय के जेएलएनएच के एमटीसी में उपचार लेने वाले (कुपोषित) करीब ४६ प्रतिशत बच्चे अनुसूचित जन जाति, अनुसूचित जाति एवं बीपीएल परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। इनमें से २०.३५ प्रतिशत बच्चे अनुसूचित जाति वर्ग के परिवारों के हैं। वहीं १५.७२ प्रतिशत बच्चे अनुसूचित जनजाति तथा १०.७६ प्रतिषत कुपोषित बच्चे बीपीएल परिवारों के हैं।
एमटीसी के जतन

-कुपोषित बच्चों की माता की काउंसलिंग।
-बच्चे को आहार देने की प्रक्रिया का प्रशिक्षण।

-मां के दूध के महत्व की जानकारी देकर प्रेरित करवाना।
-संतुलित आहार में खाद्य पदार्थों की जानकारी।
-स्वच्छता व साफ-सफाई का ध्यान रखने की जानकारी।
-आहार चार्ट देकर उसी अनुरूप पीडि़त बच्चों को आहार दिलवाना।

-हर दो घंटे में बच्चों को आहार की आदत दिनचर्या में बनवाना।

आहार देते वक्त चलते हैं टीवी पर कार्टून
कुपोषित बच्चों को आहार देते वक्त टेलीविजन पर कार्टून फिल्म चलती है ताकि बच्चों में उत्साह बना रहे। बच्चे के शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह फायदेमंद साबित हो रहा है।
बच्चों के पोषण एवं आहार की जानकारी का ज्ञान कम होने, बच्चों में पेट के कीड़े, टीकाकरण नहीं करवाना, बच्चों में इंफेक्शन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम से शरीर में कैलोरी की अधिक आवश्यकता हो जाती है। बीमारी में खाने-पीने की चीजों में भ्रांतियों के कारण भी कुपोषण बढ़ रहा है। कुपोषण के कुचक्र को तोडऩे के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है।
-डॉ. बी.एस. कर्नावट, विभागाध्यक्ष शिशु औषध विभाग जेएलएन अस्पताल

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