scriptShamefull: आपको खाना है तो जाओ 10 किलोमीटर दूर, वरना हमारी बला से रहो भूखे……. | MDS university not provide food in canteen for students | Patrika News
अजमेर

Shamefull: आपको खाना है तो जाओ 10 किलोमीटर दूर, वरना हमारी बला से रहो भूखे…….

भूख लगे तो कैंटीन से उल्टे पांव लौटने के सिवाय कोई चारा नहीं है। खाना खाने के लिए उन्हें परिसर से बाहर दूरी तय करनी पड़ती है।

अजमेरMay 18, 2018 / 09:35 am

raktim tiwari

food not provide by university in canteen

food not provide by university in canteen

रक्तिम तिवारी/अजमेर।

विद्यार्थियों से पढ़ाई के बदले फीस और विकास शुल्क वसूलने वाला महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय उनके प्रति गैर जिम्मेदार है। यहां पढऩे विद्यार्थियों अथवा कामकाज के लिए आने वालों को भोजन की इच्छा तो कैंटीन में खाना नहीं मिलेगा। परिसर के बाहर भागने के अलावा कोई चारा नहीं है। यहां नाममात्र के लिए कैंटीन संचालित हैं। कुलपति, कुलसचिव और प्रशासन को व्यवस्थाओं से कतई इत्तेफाक नहीं है।
विश्वविद्यालय में वर्ष 2012 में आधुनिक कैंटीन बनवाई गई। मौजूदा सांसद डॉ. रघु शर्मा (तब मुख्य सचेतक) ने इसका उद्घाटन किया था। शुरुआत से कैंटीन कभी व्यवस्थित संचालित नहीं हो पाई। यहां कचोरी, समोसा , पेटिज, चाय-कॉफी ही उपलब्ध कराई गई। एक-दो बार तो कैंटीन ठेका खत्म होने पर बंद भी हो गई।
खाने के लिए परिसर से जाओ बाहर

विश्वविद्यालय परिसर में कला, वाणिज्य, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, प्रबंधन, विधि और बीएड संकाय के कोर्स संचालित हैं। यहां 1200 विद्यार्थी पढ़ते हैं। इसके अलावा करीब 250 कर्मचारी, 18 शिक्षक और 6 अधिकारी कार्यरत हैं। परिसर में रोजाना दूसरे शहरों से कई विद्यार्थी या उनके परिजन, आगंतुक कामकाज के लिए आते-जाते हैं। इनमें से किसी को भूख लगे तो कैंटीन से उल्टे पांव लौटने के सिवाय कोई चारा नहीं है। खाना खाने के लिए उन्हें परिसर से बाहर दूरी तय करनी पड़ती है।
केवल दिखावटी कैंटीन

परिसर में संचालित कैंटीन केवल दिखावटी है। यहां पास्ता, पेटिस, समोसा, कचौरी, चाय के अलावा कुछ नहीं मिलता। विश्वविद्यालय का स्टाफ तो यहां आना भी पसंद नहीं करता। कर्मचारी अक्सर अजमेर-बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित थडिय़ों पर चाय-कॉफी पीते हैं। भूख लगने पर विद्यार्थी या आगंतुक भी इन्हीं थडिय़ों पर कचोरी-समोसे खाकर पेट भरते हैं। कैंटीन में धड़ल्ले से घरेलू सिलेंडर का इस्तेमाल हो रहा है। सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं है।
इन संस्थानों की शानदार कैंटीन

-राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर : भोजन और सभी फास्ट फूड
-जयनारायण व्यास विवि जोधपुर : भोजन और अन्य सामग्री-एम.एल. सुखाडिय़ा विवि उदयपुर : दाल, चावल, राजमा, रोटी और अन्य।

-जेएनयू दिल्ली: सभी फास्ट फूड और भोजन की थाली।
-निजी विश्वविद्यालय : भोजन, फास्ट फूड, साउथ इंडियन, चाइनीज आइटम।

मांग उठाई, नहीं हुई सुनवाई

विश्वविद्यालय की कैंटीन सिर्फ नाममात्र के लिए चलती है। यहां विद्यार्थियों और बाहर से आने वालों को खाना नहीं मिलता। कई बार मांग उठाई गई, पर प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। मजबूरी में खाने के लिए इधर-उधर जाना पड़ता है।
-जितेंद्र गुर्जर, एनएसयूआई नेता
छह साल से कैंटीन का संचालन कभी व्यवस्थित नहीं देखा है। यहां पढऩे वाले विद्यार्थी या तो खुद खाना लाते हैं, या इधर-उधर पैसे देकर खाते हैं। कैंटीन में ही अगर खाने की व्यवस्था हो जाए तो उन्हें सहूलियत होगी।
-भगवान सिंह चौहान, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

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