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अजमेर

Patrika campus campaign: गांव में नेट कनेक्शन की समस्या, सिलेबस में हो कटौती

ऑनलाइन लेक्चर देखने-सुनने के लिए दूर-दराज जाना पड़ता है। कइयों के पास तो लॉ की किताबें भी उपलब्ध नहीं हैं।

अजमेरDec 01, 2020 / 02:29 pm

raktim tiwari

law college ajmer

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

कोरोना संक्रमण ने पिछले और मौजूदा शिक्षण सत्र की पढ़ाई को नुकसान पहुंचाया है। कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ऑफलाइन कक्षाएं ठप हैं। छह महीने से ऑनलाइन कक्षाएं हो रही हैं। शिक्षक कॉलेज के यू-ट्यूब चैनल पर वीडियो अपलोड कर रहे हैं। लेकिन विद्यार्थियों की परेशानियां बरकार हैं। गांवों में इंटरनेट कनेक्शन सबसे बड़ी परेशानी है।
ऑनलाइन पढ़ाई करना सिरदर्द बना हुआ है। आधा सत्र बीत चुका है। यूजीसी और राज्य सरकार ने सिलेबस कटौती पर कोई फैसला नहीं लिया है। युवाओं ने राजस्थान पत्रिका के साथ जूम मीटिंग में कैंपस से जुड़ी परेशानियों के अलावा नवाचार पर खुलकर बातचीत की।
खोलने चाहिए एकेडमिक कैंपस
कोरोना संक्रमण के कारण जुलाई से दिसंबर तक स्कूल,कॉलेज और यूनिवर्सिटी कैंपस बंद हैं। लेकिन ऑफलाइन पढ़ाई धीरे-धीरे शुरू करने की जरूरत है। ऑनलाइन पढ़ाई ज्यादा कारगर नहीं है। क्लास में शिक्षकों से सीधा संवाद और नियमित पढ़ाई ही श्रेष्ठ व्यवस्था होती है। गांवों के विद्यार्थियों को इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं मिलती। ऑनलाइन लेक्चर देखने-सुनने के लिए दूर-दराज जाना पड़ता है। कइयों के पास तो लॉ की किताबें भी उपलब्ध नहीं हैं।
पियूष पारीक

चर्चा के लिए होना चाहिए नियमित सेशन

तकनीकी और मेडिकल की तरह लॉ कोर्स प्रोफेशनल कोर्स है। इनमें विद्यार्थियों को प्रमोट नहीं किया जा सकता। लॉ कॉलेज कैंपस शहर से बहुत दूर है। सिटी बस-टैम्पो की सुविधा भी आसानी से नहीं मिलती। हमने जिला प्रशासन और नगर निगम को अजमेर सिटी ट्रांसपोर्ट बस लॉ कॉलेज तक चलाने को कहा था, अबी तक जवाब नहीं मिला। कैंपस में ऑफलाइन क्लास कोरोना संक्रमण को देखते हुए आसान नहीं है। ऑनलाइन टीचिंग चल रही है, पर तकनीकी बिंदुओं पर चर्चा के लिए नियमित सेशन होना चाहिए।
बलराम हरलानी
कॉलेज में सुविधाएं बढ़ाने की बहुत आवश्यकता

लॉ कॉलेज की आठ साल से बिल्डिंग जैसी थी वैसी है। चारदीवारी, स्पोट्र्स, ई-लाइब्रेरी, पर्याप्त स्टाफ का मुद्दा पत्रिका ने प्रमुखता से उठाए हैं। हमने भी सरकार और बार कौंसिल को पत्र भेजे हैं। चारदीवारी के लिए कलक्टर ने स्मार्ट सिटी के तहत बजट उपलब्ध कराने की सहमति दी है। आयुर्वेद कॉलेज की जमीन को लेकर तकनीकी पेंच कायम है। इस पर सरकार और प्रशासन से बातचीत हुई है। ऑनलाइन कक्षाएं कुछ समय तक अस्थाई व्यवस्था है। ऑफलाइन कक्षाएं विद्यार्थियों के लिए जरूरी हैं। लॉ एक विविध और विस्तृत संकाय है। इसमें टीचर-स्टूडेंट के बीच जज और वकील की तरह सीधा संवाद जरूरी है। कॉलेज में सुविधाएं बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है।
रचित कच्छावा

ये होना चाहिए लॉ कॉलेज में (विद्यार्थियों के अुसार)
-यूजीसी के नियमानुसार 1 प्रोफेसर, दो रीडर, चार लेक्चरर

-सुप्रीम कोर्ट/हाईकोर्ट की प्रोसिडिंग-बहस सुनने का मिले अवसर
-विद्यार्थियों के लिए ई-लाइब्रेरी, ई-कंटेंट हों उपलब्ध
-कॉलेज कैंपस में बने सुविधाओं युक्त कैंटीन
-एलुमिनी का गठन कर कॉलेज का विकास जरूरी

-यूजीसी से पंजीकृत होना चाहिए लॉ कॉलेज
-बार कौंसिल ऑफ इंडिया से मिले स्थाई मान्यता

-विद्यार्थियों के लिए शुरू होना चाहिए लॉ जर्नलिज्म
-नेशनल लॉ स्कूल-यूनिवर्सिटी की तर्ज पर कैप्सूल कोर्स
यह परेशानियां हैं बरकरार

-सिलेबस के अनुसार नहीं उपलब्ध हैं रेफरेंस बुक्स
-लाइब्रेरी का नहीं कर पा रहे हैं इस्तेमाल

-ग्रुप डिस्कशन के लिए सोशल मीडिया एकमात्र विकल्प
-विषयवार कठिनाइयों के लिए शिक्षकों की उपलब्धता सिर्फ ऑनलाइन
-कॉलेज में नियमित नहीं होते एकेडेमिक ट्यूर
-राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय लॉ स्कूल/विश्वविद्यालयों की नहीं होती विजिट

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