लॉकडाउन के कारण पिछले चालीस दिन से अजमेर में ही फंसे विभिन्न राज्यों के जायरीन को जैसे ही यह जानकारी मिली कि उन्हें घर जाने की अनुमति दी जा रही है, उनके चेहरे पर रौनक आ गई। जिला प्रशासन ने सोमवार रात को ही यहां से जाने के इच्छुक जायरीन की सूची बनाने का कार्य शुरू कर दिया। इसकी जानकारी मिलते ही ख्वाजा साहब की दरगाह के मुख्य द्वार निजाम गेट पर अनुमति के लिए जायरीन की लम्बी कतार लग गई।
हजारों जायरीन की व्यथा राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद सोमवार को प्रभारी सचिव भवानी सिंह देथा और जिला कलक्टर विश्वमोहन शर्मा ने दरगाह कमेटी के साथ बैठक की। इसमें यह तय किया गया कि जो जायरीन अपने निजी वाहनों से जाना चाहते हैं, उन्हें इजाजत दी जा सकती है। इस दौरान यह भी सामने आया कि ज्यादातर जायरीन स्वयं के खर्चे पर निजी वाहनों से जाने को तैयार हैं। इसे देखते हुए दरगाह कमेटी ने रात को ही सूची बनाने का कार्य शुरू कर दिया। देर रात कुछ वाहनों में गुजरात और मध्यप्रदेश के कई जायरीन यहां से रवाना हो गए।
इन्होंने भी उठाई मांग जायरीन की पीड़ा को देखते हुए शहर के कई नेताओं, संगठनों के पदाधिकारियों ने भी इन्हें घर भेजे जाने की मांग उठाई, पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल, बाहेती, नसीम अख्तर इंसाफ आदि ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा। अंजुमन सदस्य सैयद मुनव्वर चिश्ती ने भी यहां फंसे जायरीन को घर भिजवाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि दरगाह नाजिम शकील अहमद ने पिछले दिनों जिला कलक्टर को लिखे पत्र में यह कहा कि दरगाह कमेटी ने जायरीन को अपने गेस्ट हाउस से निकाला और कुछ गेस्ट हाउस व खादिमों ने उन्हें एडवांस राशि लेकर ठहराया। यह बेहद अफसोसजनक है। किसी भी खादिम ने जायरीन से कोई राशि नहीं ली है बल्कि खािदमों ने उनका यहां पूरा ख्याल रखा है। गौरतलब है कि दरगाह कमेटी अध्यक्ष अमीन पठान ने भी पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित तमाम मंत्रियों को पत्र लिख कर जायरीन को यहां से भिजवाने की व्यवस्था किए जाने की मांग रखी। इसी तरह गरीब नवाज सूफी मिशन सोसायटी के अध्यक्ष जुल्फिकार चिश्ती ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर जायरीन की पीड़ा से अवगत कराया।