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RPSC: नहीं दिए डॉक्यूमेंट्स तो होगी सरकारी नौकरी में परेशानी

दस्तावेज प्रस्तुत कर सकेंगे। इसके अभाव में उनका चयन निरस्त किया जाएगा।
 

अजमेरSep 22, 2020 / 06:07 am

raktim tiwari

rpsc ajmer

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अजमेर.

राजस्थान लोक सेवा आयोग ने वरिष्ठ अध्यापक (माध्यमिक शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा-2018 के तहत चयनित अभ्यर्थियों से दस्तावेज मांगे हैं। अभ्यर्थी 28 तक वांछित दस्तावेज प्रस्तुत कर सकेंगे।

संयुक्त सचिव नीतू यादव ने बताया कि आयोग ने वरिष्ठ अध्यापक (माध्यमिक शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा-2018 के तहत टीएसपी और नॉन टीएसपी के 9322 पदों पर 28 अक्टूबर से 2 नवंबर 20108 तक परीक्षा कराई थी। इनकी विचारित सूची में शामिल अभ्यर्थियों की काउंसिंग बीते साल कराई गई। कई चयनित अभ्यर्थियों ने दस्तावेज नहीं प्रस्तुत किए हैं। इन्हें 28 सितंबर तक दस्तावेज प्रस्तुत कर सकेंगे। इसके अभाव में उनका चयन निरस्त किया जाएगा।
कॉलेज बनाएंगे वेंटीलेटर और हाइफ्लो ऑक्सीजन सिस्टम

अजमेर. कोरोना को देखते हुए राज्य के इंजीयनियरिंग कॉलेज को कम कीमत के वेंटीलेटर, हाईफ्लो ऑक्सीजन और अन्य उपकरण तैयार करने चाहिए। इससे आमजन को फायदा मिलेगा। यह बात बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ.सुभाष गर्ग ने कही।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सरकार और समाज के सहयोग से सभी कॉलेज को न्यूनतम कीमतों वाले वेन्टीलेटर, हाईफ्लो ऑक्सीजन सिस्टम व सेनेटाइजर डिस्पेंसर मशीन तैयार होनी चाहिए। इससे बड़े अस्पतालों, पीएचसी, सीएचसी को लाभ मिलेगा। उन्होंने संस्कृत शिक्षा के देववाणी ऐप की तर्ज पर तकनीकी शिक्षा में भी लेक्चर अथवा कोर्स आधारित एप विकसित करने पर जोर दिया। इंजीनियरिंग कॉलेज बांसवाड़ा में जनजातीय विद्यार्थियों को फीस नहीं होने के आधार पर प्रवेश से वंचित नहीं किया जाना चाहिए ।
कराया जाएगा ऑडिट
डॉ. गर्ग ने कहा कि तकनीकी शिक्षा विभाग सभी इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों, लैब और पढ़ाने के तरीकों की शैक्षणिक ऑडिट कराएगा। इससे गुणात्मक सुधार होगा। तकनीकी शिक्षा शासन सचिव शुची शर्मा, इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ साईन्स बेंगलूरू के प्रो. एन.सी. शिवप्रकाश, एमएनआईटी के पूर्व निदेशक प्रो. आर.पी. दहिया, एनआईटीके सूरतकल के प्रो. अश्वनी चतुर्वेदी ने ऑनलाइन वेबिनार पर जोर दिया।
स्कूल तक पहुंचे कॉलेज
डॉ. गर्ग ने कॉलेज को कम्प्यूटर लैब और अन्य संसाधनों का दायरा आसपास के स्कूल तक पहुंचाने को कहा। ताकि ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के विद्यार्थियों को भी तकनीकी लाभ मिले। इस दौरान प्राचार्यों ने योजनाएं पेश की। इन्हें शासी परिषद ने पारित किया।
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