scriptpatrika campaign- #don’tkillyourself ,डिप्रशेन में नहीं माने हार, इनकी सलाह बच्चों को दे रही नई जिंदगी | students has to take advice of career councilor before choosing their career | Patrika News
अजमेर

patrika campaign- #don’tkillyourself ,डिप्रशेन में नहीं माने हार, इनकी सलाह बच्चों को दे रही नई जिंदगी

स्कूलों और कॉलेज में यूं तो सभी पढऩे जाते हैं और पढ़कर डिग्रियां हासिल कर लेते हैं, पर क्या सभी विद्यार्थी उन डिग्रियों के अनुरूप ही उसी प्रकृति के रोजगार को पाते हैं।

अजमेरJun 02, 2017 / 07:34 pm

raktim tiwari

patrika campaign

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 स्कूलों और कॉलेज में यूं तो सभी पढऩे जाते हैं और पढ़कर डिग्रियां हासिल कर लेते हैं, पर क्या सभी विद्यार्थी उन डिग्रियों के अनुरूप ही उसी प्रकृति के रोजगार को पाते हैं। व्यावहारिक रूप से स्थिति कुछ और ही होती है। इसके लिए जरूरी है विज्ञान का विद्यार्थी विज्ञान के क्षेत्र में चिकित्सक या वैज्ञानिक बनाने के लिए और कला का विद्यार्थी प्रशासनिक या शिक्षण क्षेत्र में जाए। लेकिन इन सबसे पहले जरूरी है विद्यार्थी की रुचि किस में है।
कई बार विद्यार्थी घर परिवार वालों या दोस्तों की देखादेख विषय चुन लेता है जिसका प्रभाव भविष्य में उसके भावी कॅरियर को प्रभावित करता है। इसके लिए आवश्यक है सही कॅरियर काउंसर को चुनना। यह माता-पिता, दोस्त या अन्य कोई भी हो सकता है।
जिंदगी मैराथन, कभी भी आ सकते हैं फस्र्ट

कुछ नम्बरों से फेल होने या दुखी होने से हार मानने वाले बच्चों को यह समझने की आवश्यक्ता है कि जिंदगी एक रेस नहीं मैराथन के समान है। इसमें सब एक साथ दौड़ते हैं लेकिन अंत में पीछे रहने वाला भी फस्र्ट आ सकता है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं परीक्षा में फेल होना जिन्दगी का फेलियर नहीं है इसके लिए बच्चों को काउंसलिंग की जाए जिससे वह आत्महत्या जैसे भयावह कदम को उठाने की बजाय जिस काम में उनकी रुचि है उसे समझे और आगे बढ़े।
-आशीष पारीक, सहायक आचार्य एमडीएस विश्वविद्यालय

कुम्हार की तरह बच्चों को दें आकार

पेरेन्ट्स को चाहिए की बच्चों के साथ कुम्हार की तरह बर्ताव करें। जिस तरह कुम्हार मिट्टी के बरतन बनाने के लिए उसे थपकी मारकर उसके आकार को बनाता है उसी तरह मां बाप को भी चाहिए बच्चों की गलती पर उन्हें थपकी मार कर उन्हें सही दिशा दिखाएं। न कि बच्चों को किसी भी परीक्षा में फेल होने या कम अंक आने पर डांटें या मार पिटाई करें। इससे बच्चों के मन में भी आत्मविश्वास हो की हां मैं कर सकता हूं। इससे बच्चा डिग्री और माक्र्स के भ्रम से निकल कर खुद की काबिलियत पर विश्वास करने लगेगा।
-आर.एस चोयल, कॅरियर काउंसलर

माक्र्स से ज्यादा टेलेंट की जरूरत
बच्चों को माक्र्स कम आने या परीक्षा में फैल होने पर चिंता करने की बजाय यह सोचना चाहिए कि हमारे पास स्पेशल टेलेंट क्या है। बच्चों के स्पेशल टेलेंट से उन्हें कई तरह के प्लेटफॉर्म सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं। अपने टेलेंट को कैसे निखारा जाए इसके बारे में बताया जाए। बारहवीं कक्षा के बाद एेसे कई स्किल कॉर्सेज है जिनमें भी बच्चों की रुचि हो वह कॉर्स कर लिए जाए जिन्हें इन दिनों ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री के समान ही मान्यता प्राप्त है। माक्र्स केवल कुछ नम्बर हैं इसके अलावा और कुछ भी नहीं। बच्चे अपने टेलेंट से भी मुकाम हासिल कर सकते हैं।
-डॉ. दीपिका उपाध्याय, डिप्टी डायरेक्टर उद्यमिता लघु उद्योग केन्द्र

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