जिले और प्रदेश में जून से सितंबर (122 दिन) के बीच मानसून (monsoon) की सक्रियता मानी जाती है। लिहाजा इस साल मानसून के 49 दिन बीत चुके हैं। अब महज 73 दिन बचे हैं। 5 से 7 जुलाई तक जिले के कई हिस्सों में झमाझम बरसात हुई थी। कुछेक तो छिटपुट फुहारें (rain shavers) ही गिरी थी। पिछले दस दिन से बारिश नदारद है। मौसम विभाग के अजमेर (ajmer) में अब तक 202 और सिंचाई विभाग (irrigation dept) के मुताबिक सौ मिलीमीटर हुई। जबकि जिले की औसत बारिश 550 मिलीमीटर मानी जाती है। इसको देखते हुए जिले को तीन सौ मिलीमीटर से ज्यादा बरसात (monsoon rain) की और जरूरत है।
जलदाय विभाग (phed) ने सरकार को अजमेर जिले की पेयजल आपूर्ति (water supply) की आपात योजना का प्लान भेज दिया है। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इस पर अमल किया जाएगा। इसके अलावा विभाग को मानसून (monsoon) की सक्रियता का भी इंतजार है। ताकि बारिश होने पर बीसलपुर बांध में पर्याप्त पानी की आवक हो जाए। पिछले साल कम बरसात (low rainfall) के चलते बीसलपुर बांध (bislapur) खाली रह गया था। इसके चलते विभाग ने बीते वर्ष सितंबर-अक्टूबर से ही 72 घंटे के अंतराल में पेयजल आपूर्ति शुरू कर दी थी। बांध में लगातार जलस्तर (water level) घटता जा रहा है। मौजूदा वक्त इसका जलस्तर करीब 305.16 आरएल मीटर है। बांध से प्रतिदिन अजमेर को 260, जयपुर को 400 और टोंक को 20 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। इसमें अब 2.45 टीएमसी पानी ही बचा है।
2013-540
2014-545.8
2015-381.44
2016-512.07
2017- 450
2018- 325