राज्य सरकार ने कर्नाटक karnatak की तर्ज पर राजस्थान की तहसीलों में भी जमाबंदी रिकॉर्ड ऑनलाइन करने का निर्णय किया है। राज्य की एक टीम पिछले दिनों इस विषय पर अध्ययन करके कर्नाटक से लौटी है। वहां जमाबंदी का रिकॉर्ड खाते की बजाय खसरे के अनुसार रखा जाता है। राजस्थान में यह व्यवस्था शुरू होने के बाद नए सॉफ्टवेयर में खातेदार का ब्योरा दर्ज किया जाएगा। इससे हर शख्स के राज्य में मौजूद सभी खसरों की जानकारी एक साथ मिल सकेगी। इससे सरकार के लिए सीलिंग एक्ट लागू करना भी आसान होगा। नई व्यवस्था के तहत नक्शे में जमीन के खसरे की लम्बाई-चौड़ाई प्रत्येक मोड़ पर दूरी के हिसाब से दर्ज करके दर्शाई जाएगी। इसके लिए भू-प्रबंध विभाग ने भी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
बनेगा नया सॉफ्टवेयर एनआईसी डिजीटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (डीआइएलआरएमपी) के तहत इसके लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है। राजस्व मंडल निबंधक ने इसके लिए एनआइसी के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक को निर्देश दिए हैं। सॉफ्टवेयर तैयार होने तथा पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद सरकार नियमों में बदलाव करेगी।
यह होगा फायदा -काश्तकार को अपडेट जमाबंदी मिलेगी -अब जमीन का ऑटोम्यूटेशन होगा -जमीन का खरीद-बेचान आसान होगा -जमाबंदी पढऩा व समझना सरल होगा -काश्कार को कर्ज लेने में आसानी होगी